Bihar Board Class 10th Biology chapter-1 Subjective Question 2025: जैव प्रक्रम : पोषण Subjective Question, @Officialbseb.Com
Bihar Board Class 10th Biology chapter-1 Subjective Question 2025:
प्रश्न 1. पित्त क्या है ? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्त्व है ? [2023A, 20214, 2016A]
उत्तर-पित्त यकृत ग्रंथि से स्रावित होने वाला (स्राव) द्रव्य है जो छोटी आँत में भोजन के पाचन में मदद करता है। मनुष्य के पाचन क्रिया में इसका निम्नलिखित महत्त्व है-
(i) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आये अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर क्रिया कर सके।
(ii) पित्त भोजन में वसा के बड़े कण को सूक्ष्म कण में तोड़ने में मदद करता है, ताकि लाइपेज एंजाइम उस पर क्रिया कर वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर सके। इस प्रकार वसा के पाचन में पित्त का महत्त्व है।
प्रश्न 2. मछली, मच्छर, केंचुआ और मनुष्य के मुख्य श्वसन अंगों के नाम लिखें। [2023A, 2021A, M. Q., Set-IV: 2016, 2014A]
उत्तर-
जीव का नाम | श्वसन अंग |
(i) मछली | गिलछिद्र |
(ii) मच्छर | वायु नलिकायें |
(iii) केंचुआ | त्वचा |
(iv) मनुष्य | फेफड़ा |
प्रश्न 3. दीर्घरोम क्या है ? इसके कार्य लिखें।[2023A, 20214]
उत्तर- मृदा से जल का अवशोषण जलीय पौधों में मूलरोमों के द्वारा होता है। मृदा से जल मूलतः विसरण की प्रक्रिया से मूलरोम की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है। चूँकि मूलरोम की कोशिकाओं में कोशिका द्रव का परासरण दाब भूमि जल के दाब से अधिक होता है। अतः, सांद्रता प्रवणता के अनुसार भूमि से मूलरोमों की कोशिकाओं की ओर जल का बहाव होता है।
प्रश्न 4. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ? [20234, 20214]
उत्तर-हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका निम्नलिखित हैं-
(i) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर ग्रंथियों से स्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे जठर रस का पेप्सिन नामक एंजाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके ।
(ii) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील एवं नष्ट करता है।
(iii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता ।
प्रश्न 5. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में अंतर स्पष्ट करें । [20234, 2019A, B.M. 2018, M. Q., Set-V: 2011]
उत्तर-,
स्वयंपोषी पोषण | विषमपोषी पोषण |
(i) इस प्रकार का पोषण हरे पौधों में पाया जाता है। | (i)इस प्रकार का पोषण कीटों तथा जन्तुओं में पाया जाता है। |
(ii) इसमें कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल की परस्पर संयोजन क्रिया से कार्बनिक पदार्थों का निर्माण होता है। | (ii) जंतु अपने भोजन के लिए पौधों पर तथा शाकाहारी प्राणियों पर निर्भर करते हैं। |
(iii) इन्हें अपने भोजन के निर्माण के लिए अकार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता होती है। | (iii) इसमें जंतुओं को अपने भोजन के लिए कार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता होती है। |
(iv) भोजन के निर्माण की क्रियाविधि प्रकाश-संश्लेषण में पर्णहरित तथा सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। | (iv) इसमें भोजन का निर्माण नहीं होता । |
प्रश्न 6. परपोषण क्या है ? [2023A]
उत्तर-वह पोषण जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं अपितु किसी-न-किसी रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं, परपोषण या विषमपोषी पोषण कहलाते हैं।
प्रश्न 7. मृतजीवी पोषण क्या है ? उदाहरण सहित उत्तर दें। [2023A]
उत्तर-जीव मृत जन्तुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं, इसे हम मृतजीवी पोषण कहते हैं। जैसे मशरूम, यीष्ट तथा कुकुरमुत्ता।
प्रश्न 8. जीवों के लिए पोषण अनिवार्य है, क्यों?[20234]
उत्तर-जैविक प्रक्रमों के संचालन, वृद्धि, अनुरक्षण आदि कार्यों के निष्पादन हेतु जीवों की मूलभूत आवश्यकता ऊर्जा है। ऊर्जा की प्राप्ति हेतु खाद्य-पदार्थों की जरूरत होती है। अतः, जीवों में पोषण अनिवार्य है।
प्रश्न 9. नाभि रज्जु का क्या कार्य है ?[2023A]
उत्तर-कॉर्ड ब्लड, नाभि रज्जु और गीर्नाल की रक्त वाहिकाओं में पाया जाता है और जन्म के बाद बच्चे की नाभिक रज्जु काट कर एकत्र किया जाता है। इसमें रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाएँ होती हैं जो कुछ रक्त और प्रतिरक्षा प्रणाली विकारों के इलाज में उपयोग की जाती है।
प्रश्न 10. रक्त क्या है ? इसका कौन-सा घटक गैसीय परिवहन में सहायक है ? [2023A]
उत्तर-रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है, जो उच्च बहुकोशिकीय जन्तुओं में एक तरल परिवहन माध्यम है, जिसके द्वारा शरीर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पदार्थों का परिवहन होता है। श्वसन-गैसों (02 एवं CO₂) का परिवहन रुधि र की लाल रुधिर कोशिकाओं (RBC) में मौजूद हीमोग्लोबिन द्वारा एवं अन्य पदार्थों का परिवहन रुधिर प्लाज्मा द्वारा होता है।
प्रश्न 11. डायलिसिस क्या है ? [2023A]
उत्तर-कभी-कभी संक्रमण या उपयुक्त रुधिर आपूर्ति न होने या किन्हीं अन्य कारणों से वृक्क क्षतिग्रस्त होकर कार्य करना बन्द कर देता है। ऐसी स्थिति में उत्सर्जी पदार्थों को छानने तथा जल एवं लवणों के मात्रा के उचित संतुलन के लिए कृत्रिम वृक्क का व्यवहार करना पड़ता है। यह विधि डायलिसिस कहलाती है। इस विधि – में मरीज के रुधिर को क्षतिग्रस्त वृक्क के बजाए डायलिसिस मशीन में प्रवाहित किया जाता है। इस मशीन में रुधिर से उत्सर्जी पदार्थों को अलग करके फिर उसे शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है।
प्रश्न 12. धमनी, शिरा और कोशिकाओं में अन्तर बताइए । [20224, 20194, 2014A]
उत्तर-,
धमनी | शिरा | कोशिकाएँ |
1. इनकी दीवारें तन्य, मोटी और पेशीयुक्त होती हैं। | 1.इनकी दीवारें पतली, रेशेदार तथा तन्य होती हैं। | 1.दीवारें अधिक पतली होती हैं। |
2. इनके अन्दर की गुहिका छोटी होती हैं। | 2. इनकी गुहिका बड़ी होती हैं। | 2. अन्दर की गुहिका अधिक पतली होती हैं। |
3. इनमें कपाट नहीं होते हैं। | 3. इनमें कपाट होते हैं। | 3. इनमें कपाट नहीं होते है। |
4. इनमें रुधिर दाब के साथ बहता है। | 4. रुधिर बिना झटके के बहता है। | 4. ये धमनी और शिरा से निकलती हैं। |
प्रश्न 13. पौधों/पादप में भोजन स्थानांतरण कैसे होता है ? [2022A, 2019A]
उत्तर-पादपों में जटिल संवहन ऊतक फ्लोएम द्वारा भोजन का स्थानांतरण होता है। भोजन तथा अन्य पदार्थों का स्थानांतरण संलग्न सखी कोशिका की सहायता से चालनी नालिका में ऊपरिमुखी एवं अधोमुखी दोनों दिशाओं में होता है। सुक्रोस के रूप में भोजन ATP से ऊर्जा लेकर स्थानांतरित होते हैं।
प्रश्न 14. पौधे में गैसों का आदान-प्रदान कैसे होता है ? [20224, 2016A]
उत्तर-पौधों में गैसों का आदान-प्रदान उनकी पत्तियों में उपस्थित रन्ध्र के द्वारा होता है। उनके CO, एवं 02 का आदान-प्रदान विसरण-क्रिया द्वारा होता है, जिसकी दिशा पौधों की आवश्यकता एवं पर्यावरणीय अवस्थाओं पर निर्भर करती है।
प्रश्न 15. रक्त के जमने में पट्टिकाणुओं की क्या भूमिका है ? [2022A]
उत्तर-रक्त पट्टिकाणु सबसे छोटे आकार की रक्त कोशिकाएँ हैं, इसे विषाणु या थ्रोम्बोसाइट्स भी कहते हैं। ये अस्थिमज्जा के मैगाकैरिओसाइट्स द्वारा निर्मित होते हैं। ये रक्त को थक्का बनाने में मदद करते हैं।
प्रश्न 16. किण्वन किस प्रकार का श्वसन है ? यह कहाँ होता है ? (2022A)
उत्तर- किण्वन एक प्रकार का अवायवीय श्वसन है, जिसमें यीस्ट द्वारा पायरुवेट को एथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह अभिक्रिया यीस्ट कोशिकाओं के बाहर स्रावित जाइमेज एंजाइम द्वारा शर्करा के अपघटन के फलस्वरूप सम्पन्न होता है।
प्रश्न 17. सजीव के मुख्य चार लक्षण लिखें । [20214, 2017A]
उत्तर- (i) गति, (ii) पोषण, (iii) श्वसन तथा (iv) उत्सर्जन ।
प्रश्न 18. मनुष्य में कितने प्रकार के दाँत होते हैं ? उनके नाम तथा कार्य लिखें। [2021A]
उत्तर-मनुष्य में दाँत चार प्रकार के होते हैं-कतर्नक या इंसाइजर, भेदक या कैनाइन, अग्रचवर्णक या प्रीमोलर तथा चवर्णक या मोलर। कतर्नक को काटनेवाला दाँत कहते हैं। भेदक-चीरने या फाड़ने वाला दाँत होता है। अग्रचवर्णक एवं चवर्णक को चबाने एवं पीसने वाला दाँत कहा जाता है।
प्रश्न 19. वाष्पोत्सर्जन एवं स्थानांतरण में अंतर लिखें। [2021A]
उत्तर-पौधों के वायवीय भागों (स्टोमाटा, क्यूटिकल एवं लेंटीसेल्स) द्वारा वाष्प के रूप में जल के निष्कासन की क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। यह एक शारीरिक क्रिया है, एवं अलग-अलग पादपों में इस क्रिया से निष्कासित जल की मात्रा में भिन्नता होती है।
लेकिन स्थानांतरण में पौधों में जल, खनिज लवण एवं खाद्य-पदार्थों का बहुत ऊँचाई तक संचलन होता है। इस स्थानांतरण की क्रिया में वाष्पोत्सर्जन की भूमिका होती है। यह फ्लोएम की चालनी नलिकाओं द्वारा होता है।
प्रश्न 20. लसीका क्या है ? इसके कार्यों का वर्णन करें। [2021A]
उत्तर- हमारे शरीर में रक्त लगातार हृदय की ओर जाता है और वापिस अंगों के पास जाता है पर इसके अतिरिक्त एक और भी परिसंचरण तंत्र है जो बंद वाहिनियों का परिसंचरण कहलाता है। इसे लसीका तंत्र कहते हैं। लसीका या लिम्फ स्वच्छ तरल है जो रक्त कोशिकाओं से बाहर आ जाता है और सभी ऊतक गुहाओं को गीला रखता है। यह हीमोग्लोबिन की अनुपस्थिति के कारण रक्त की तरह लाल नहीं होता । इसका रंग हल्का पीला होता है। यह ऊतकों की ओर से हृदय की ओर ही बहता है। यह किसी पम्प के द्वारा गति नहीं करता । इस तंत्र में अनेक वाहिनियाँ, ग्रंथियाँ और वाहिनिकाएँ होती हैं।
इनके कुछ प्रमुख कार्य हैं-
(i) हानिकारक जीवाणुओं को समाप्त कर रोगों से शरीर की रक्षा करती हैं।
(ii) शरीर पर लगे घावों को ठीक करने में सहायता करती हैं।
(iii) लिंफ नोड में छानने का कार्य करती है।
(iv) छोटी आँत में वसा का अवशोषण करती हैं।
(v) लिंफोसाइट्स का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 21. ऑक्सीहीमोग्लोबिन क्या है ? [2020A, 2019C]
उत्तर-रुधिरवर्णिका या हीमोग्लोबिन की लाल रक्त कोशिकाओं और कुछ अपृष्ठवंशियों के ऊत्तकों में पाया जानेवाला लौहयुक्त ऑक्सीजन का परिवहन करने वाला धातु प्रोटीन है। रक्त में मौजूद हीमोग्लोबिन फेफड़ों या गिलों से शरीर के शेष भाग को ऑक्सीजन का परिवहन करता है, जहाँ वह कोशिकाओं के प्रयोग के लिए ऑक्सीजन को मुक्त कर देता है।
प्रश्न 23. उत्सर्जन की परिभाषा दें। उत्सर्जी पदार्थ क्या हैं? [2020A]
अथवा, उत्सर्जन क्या है ? मानव में इसके दो प्रमुख अंगों के नाम लिखें । [2016A, M. Q., Set-IV: 2016, 2015A]
उत्तर शरीर में उपापचयी क्रियाओं द्वारा बने नेत्रजनीय अपशिष्ट पदार्थों का शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। जो पदार्थ बाहर निकलता है, उसे उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं।
उत्सर्जन अंग-
वृक्क (Kidney)-जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों (liquid waste product) को मूत्र के रूप में शरीर, से बाहर निकालता है।
फेफड़ा (Lungs)-जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों (gaseous waste product) को शरीर से बाहर निकालता है।
प्रश्न 24. फ्लोयम और जाइलम में अंतर बताएँ । [2020A, 2015A, 2014A]
उत्तर-,
फ्लोयम | जाइलम |
1. ये वाहिकायें पत्तियों द्वारा बनाये गये भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाती हैं। | 1.ये बंडल जल और खनिज-लवणों को जड़ों से पौधे के सभी ऊपरी भागों तक पहुँचाते हैं। |
2. ये जीवित ऊतक होते हैं। | 2.ये मृत ऊतक होते हैं। जीवित भी हो सकते हैं। |
3. इनमें चालनी नलिकायें, साथी कोशिकायें और फ्लोयम मृदूतक और फ्लोयम रेशे पाये जाते हैं। | 3.इसमें वाहिकायें, वाहिनिकायें, जाइलम मृदूतक तथा काष्ठ रेशे पाये जाते हैं। |
प्रश्न 25. श्वसन और दहन में दो अंतर लिखें ।[2020A, 2014A]
उत्तर- श्वसन, दहन
(i) शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में इसका उपयोग श्वसन कहलाता है।
(i) जब कोई पदार्थ ऑक्सीजन में जलता है तो दहन कहा जाता है।
(ii) इसमें ऊष्मा तथा प्रकाश की उत्पत्ति नहीं होती है।
(ii) इसमें ऊष्मा तथा प्रकाश की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 26. रक्त के दो कार्य लिखें। [2020A]
उत्तर-रक्त के कार्य-रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है, क्योंकि वह अपने प्रवाह के दौरान शरीर के सभी ऊतकों का संयोजन करता है। वसे रक्त के तीन प्रमुख कार्य हैं- (a) पदार्थों का परिवहन, (b) संक्रमण से शरीर की सुरक्षा एवं (c) शरीर के तापमान का नियंत्रण करना।
प्रश्न 27. मानव में परिवहन तंत्र के घटक कौन-कौन से हैं? दो घटकों के कार्य लिखें । [2020A]
उत्तर-मानव में परिवहन तंत्र के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं- (i) हृदय, (ii) रुधिर, (iii) धमनियाँ, (iv) शिरायें तथा (v) रुधिरप्लेट्स।
दो घटकों के कार्य निम्नलिखित हैं-
हृदय : हृदय रुधिर को शरीर के विभिन्न अंगों की सभी कोशिकाओं में वितरित करता है।
रुधिर : यह एक गहरे लाल रंग का संयोजी ऊतक है जिसमें तीन प्रकार की कोशिकाएँ स्वतंत्रतापूर्वक तैरती रहती हैं। भोजन, जल, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य वर्ज्य पदार्थों के अतिरिक्त हॉर्मोंस भी इसी के माध्यम से शरीर के विभित्र भागों में रहते हैं।
लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थिति लाल रंग के पाउडर (हीमोग्लोबिन) का मुख्य कार्य ऑक्सीजन को फेफड़ों से प्राप्त करके शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाना है।
श्वेत रुधिर कणिकाओं का कार्य शरीर में आये हुए रोगाणुओं से युद्ध करके उसे स्वस्थ बनाये रखने में सहायता करना है।
प्रश्न 28. किण्वन क्या है ? [2019C]
उत्तर-वह रासायनिक क्रिया जिसमें सूक्ष्मजीव (यीस्ट) शर्करा का अपूर्ण विघटन करके CO₂ तथा ऐल्कोहॉल, ऐसीटिक अम्ल इत्यादि का निर्माण होता है, किण्वन (Fermentation) कहलाती है। इसमें कुछ ऊर्जा भी मुक्त होती हैं।
प्रश्न 29. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है ? [2019A, B.M. 2018]
अथवा, आमाशय में पाचक रस की क्या भूमिका है [2016A]
उत्तर-पाचक एंजाइम्स पाचक रसों में उपस्थित होते हैं जो पाचक ग्रंथियों से उत्पन्न होते हैं। प्रत्येक ग्रंथि का पाचक एंजाइम विशिष्ट प्रकार का होता है जिसका कार्य भी विशिष्ट हो सकता है। ये पाचक एंजाइम भोजन के विभिन्न पोषक तत्त्वों को जटिल रूप से सरल रूप में परिवर्तित करके घुलनशील बनाते हैं। उदाहरणार्थ लार में उपस्थित सैलाइवरी एमाइलेज (टायलिन) कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में परिवर्तित कर देता है। इसी प्रकार से पेप्सिन प्रोटीन को पेप्टोन में परिवर्तित करता है। अग्नाशय अग्नाशयिक रस का स्रावण करता है जिसमें ट्रिप्सिन नामक एंजाइम होता है जो प्रोटीन का पाचन करता है।
प्रश्न 30. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ? [20194]
उत्तर-पादपों के जड़ों में जाइलम एवं फ्लोएम ऊतक पाए जाते हैं। जाइलम से जल का वहन एवं फ्लोएम से खनिज लवण का वहन होता है। जड़ के पास नमी मौजूद रहती है। इस नमी को ये दोनों ऊतकों के माध्यम से जड़ें सोखकर पौधे में परिवहन करती है।
प्रश्न 31. वायवीय (ऑक्सी) श्वसन तथा अवायवीय (अनॉक्सी) श्वसन में क्या अंतर है ? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिसमें अवायवीय श्वसन होता है।[2018A, 2016A, 2015A, M. Q. Set-II: 2015]
उत्तर- ,
वायवीय श्वसन | अवायवीय श्वसन |
(i) श्वसनी पदार्थों के तोड़ने के लिये ऑक्सीजन उपयोग होती है। | (i) ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। |
(ii) ग्लाइकोलाइसिस साइटोप्लाज्म में और क्रेब चक्र माइटोकॉण्ड्यिा में होता है। | (ii) यह साइटोप्लाज्म में ही होती है। |
(iii) ATP के 38 अणु बनते हैं। | (iii) ATP के केवल दो अणु बनते हैं। |
(iv) श्वसनी पदार्थ पूर्ण रूप से अपचयित हो जाता है। | (iv) इसमें अपचयन अधूरा होता है। |
(V) अंतिम उत्पाद CO₂ और जल हैं। | (v) अंतिम उत्पाद इथाइल एल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड हैं। |
(vi) यह सभी जीवों में पायी जानेवाली क्रिया है। | (vi) यह कुछ ही जीवों में होती है और कम समय के लिये होती है। |
अवायवीय श्वसन विभिन्न प्रकार के कवक, जीवाणुओं तथा गूदेदार फलों में भी होता है।
प्रश्न 32. कोशिका के चार कोशिकांग का नाम लिखें।[2017A]
उत्तर-(i) केन्द्रक,
(ii) माइटोकॉण्ड्यिा,
(iii) गॉल्जी उपकरण तथा
(iv) तारक केन्द्र।
प्रश्न 33. परिसंचरण तंत्र से आप क्या समझते हैं ? [2017A]
उत्तर-किसी जन्तु के शरीर में विभिन्न पदार्थों के परिवहन के लिए उत्तरदायी अंगतंत्र, परिसंचरण तंत्र कहलाते हैं। जैसे-मनुष्य में रूधिर परिसंचरण तंत्र।
प्रश्न 34. विषमपोषी पोषण से आप क्या समझते हैं ? [2017A]
उत्तर-पोषण की वह विधि जिसमें कोई जीव अपना भोजन स्वयं न बना पाने के कारण अन्य जीवों पर आश्रित रहता है विषमपोषी पोषण कहलाती है। हरे पौधों एवं अन्य स्वपोषियों के अलावा प्रायः सभी सजीव विषमपोषी ही होते हैं।
प्रश्न 35. प्रायोगिक विवरण द्वारा बताएँ कि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन गैस मुक्त होती है।[2016A]
अथवा, प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन निकलती है। [M. Q., Set-II: 2016, M. Q. Set-III: 2015]
उत्तर-प्रयोग : इसे सिद्ध करने के लिए एक बड़े बीकर में जल लेकर उसमें हाइड्रिला के कुछ पौधे डालकर उसे कीप से ढक देते हैं। इस कीप में सोडियम बाइकार्बोनेट की कुछ मात्रा डाल देते हैं जिससे हाइड्रिला के पौधों को प्रकाश-संश्लेषण के लिए पर्याप्त मात्रा में CO₂ मिलती रहे। अब कीप 2 के ऊपर पानी से एक परखनली को उलटकर रख देते हैं। अब इस पूरे उपकरण को सूर्य प्रकाश में रखकर कुछ देर बाद देखते हैं कि हाइड्रिला के पौधे से बुलबुले उठकर परखनली के ऊपरी सिरे में एकत्रित होते हैं तथा परखनली के पानी का तल नीचे की ओर गिरने लगता है। परीक्षण के बाद पता चलता है कि यह गैस ऑक्सीजन है, जिससे सिद्ध होता है कि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन निकलती है।
प्रश्न 36. श्वसन और श्वासोच्छवास में क्या अन्तर है ?[2016A]
उत्तर-
श्वसन | श्वासोच्छावास |
1. यह क्रिया कोशिका के भीतर होती है। | 1. यह क्रिया कोशिकाओं के बाहर होती है। |
2. इसमें एंजाइमों की आवश्यकता होती है। | 2. इसमें एंजाइमों की आवश्यकता नहीं होती है। |
प्रश्न 37. उत्सर्जन और स्त्राव में अंतर स्पष्ट करें।[2016A]
उत्तर-,
उत्सर्जन | स्त्राव |
1. इस प्रक्रिया में उपापचय क्रियाओं में बने वर्ज्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है। | 1.इस प्रक्रिया में ग्रन्थियों द्वारा द्रव स्स्रावित किये जाते हैं। |
2. इसमें उत्सर्जी पदार्थ बनते हैं। | 2. इसमें अंत: स्रावी और बहिःस्रावी ग्रन्थियाँ स्राव करती हैं |
3. त्वचा, फेफड़े, यकृत आदि उत्सर्जन अंग होते हैं। | 3. पाचक ग्रन्थियाँ, यकृत और सभी हार्मोन ग्रन्थियाँ स्त्राव करती हैं। |
प्रश्न 38. रुधिर और लसीका में अंतर लिखें ।[20164]
उत्तर-,
रुधिर | लसीका |
1. यह लाल रंग का होता है। | 1. यह रंगहीन या हल्के पीले रंग का होता है। |
2. इसमें हीमोग्लोबिन होता है। | 2. इसमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है। |
3. इसमें लाल रक्त कणिकाएँ, श्वेत रक्त कणिकाएँ और रुधिर पट्टिकाएँ होती हैं। | 3. इसमें कणिकाएँ नहीं होती हैं। |
4. यह हृदय से अंगों तक बहता है और वापिस आता है। | 4. यह केवल एक ही दिशा में बहता है अर्थात् ऊतकों से हृदय की ओर । |
5. इसमें श्वसन वर्णक, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और वर्ज्य पदार्थ होते हैं। | 5. यह शरीर की कोशिकाओं को कहलाता है। |
6. इसमें सभी प्रकार के रक्त प्रोटीन पाये जाते हैं। | 6. इसमें फाइब्रिनोजन नहीं होता है। |
प्रश्न 39. रक्त क्या है ? मनुष्य में श्वेत रक्त कणों की संख्या लिखें । [M. Q., Set-V: 2016, M. Q., Set-I: 2015]
उत्तर- रक्त एक प्रकार का संयोजी उत्तक है। मनुष्य में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या 5000-10000 प्रति घन मिली० रक्त होती है।
प्रश्न 40. मनुष्य के आमाशय में जो HCI अम्ल स्रावित होता है वह कैसे कार्य करता है ?[M. Q., Set-V: 2016, M. Q., Set-1: 2011]
उत्तर-Gastric HCI अम्लीय माध्यम प्रदान करता है जो Gastric Engyme पेप्सीन को सक्रिय करता है। यह सक्रिय होकर भोजन में पाये जानेवाले विभिन्न कीटाणुओं को मारता है।
प्रश्न 41. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ? [M. Q., Set-IV: 2016, M. Q., Set-II: 2015, 2013C]
उत्तर-जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का श्वसन के लिए उपयोग करते हैं। जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है। इसलिए जलीय जीवों के श्वसन की दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा अधिक तेज होती है। मछलियाँ अपने मुँह के द्वारा जल लेती हैं और बलपूर्वक इसे क्लोम तक पहुँचाती हैं। वहाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को रुधिर प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न 42. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदण्ड का उपयोग करेंगे ? [M. Q., Set-II: 2016, 2012A]
उत्तर- यद्यपि हम अपने चारों ओर अनेकों वस्तुओं को देखते हैं। अब हमें इस बात की पुष्टि करनी है कि कौन-सी वस्तु जीवित है तथा कौन-सी वस्तु अजीवित है। इसके लिए हम उनमें होनेवाली गति को देखते हैं। यदि वस्तु बिना किसी बाह्य शक्ति के गति करती है तो उसे जीवित कहते हैं। यदि कोई बहुकोशिकीय जीव सोई हुई अवस्था में है तो भी आणविक गति निरंतर हो रही है। यद्यपि वह बाहर से दिखाई नहीं पड़ती तो भी उनमें गति हो रही होती है। स्पष्ट है कि गति द्वारा हम सजीव तथा निर्जीव वस्तु का निर्धारण कर सकते हैं।
प्रश्न 43. रक्त क्या है ? मनुष्य में R.B.C. की संख्या लिखें । [2015C, M. Q., Set-V: 2015]
उत्तर- रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक है जिसका मूल कार्य परिवहन है। मानव रक्त में R.B.C. की संख्या 45-50 लाख प्रति घन मिली रक्त होता है।
प्रश्न 44. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्त्व है ? [2015A] अथवा, पौधों में वाष्पोत्सर्जन क्या है ? इसके महत्त्वों को लिखें ।[M. Q., Set-1 & V: 2015]
उत्तर-पौधे में पत्तियों के छिद्रों से जलवाष्प के रूप में जल के बाहर निकालने की क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है।
महत्त्व-
(i) यह जल अवशोषण को नियमित करता है।
(ii) रसारोहण के प्रति उत्तरदायी होता है।
(iii) पौधों में तापमान संतुलित रखता है।
प्रश्न 45. मनुष्य के वृक्क की अनुप्रस्थ काट कर चित्र बनाइए । [2015A, 2014C
उत्तर-
प्रश्न 46. स्थलीय जीव और जलीय जीव, श्वसन क्रिया के लिये किस प्रकार ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं ? [2015A]
उत्तर-स्थलीय जीव वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन से श्वसन क्रिया करते हैं जबकि जलीय जीव पानी में घुला हुआ ऑक्सीजन से श्वसन क्रिया करते हैं।
प्रश्न 47. ‘लाल-रक्त कोशिका’ की संरचना तथा कार्य लिखिए । [2014C]
उत्तर-इन्हें एरीथ्रोसाइट्स भी कहते हैं, जो उभयनतोदर डिस्क की तरह रचना होती हैं। इनमें केन्द्रक, माइटोकॉण्ड्रिया एवं अंतर्द्रव्यजालिका जैसे कोशिकांगों का अभाव होता है। इनमें एक प्रोटीन वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है, जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है। इसके एक अणु की क्षमता ऑक्सीजन के चार अणुओं से संयोजन की होती है। इसके इस विलक्षण गुण के कारण इसे ऑक्सीजन का वाहक कहते हैं। मनुष्य में इनकी जीवन अवधि 120 दिनों की होती है, और इनका निर्माण अस्थि-मज्जा में होता है। मानव के प्रति मिलीलीटर रक्त में इनकी संख्या 5-5.5 मिलियन तक होती है।
प्रश्न 48. अनुरक्षण क्या है ? अनुरक्षण के लिए कौन-कौन-सी क्रियाएँ आवश्यक है ? [2013C]
अथवा, जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रम को आवश्यक मानेंगे ? [NCERT]
उत्तर-यद्यपि जीवधारियों में अनेक क्रियाएँ की जाती हैं; जैसे-एक व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहा है, एक कुत्ता ब्रेड खाता है, एक मक्खी उड़ रही है आदि। ये सभी क्रियाएँ जीवन से सम्बन्धित होती हैं। इन्हें जैविक क्रियाएँ कहते हैं। जैसे-गति, पाचन, श्वसन, परिवहन, उत्सर्जन, वृद्धि आदि। ये सभी क्रियाएँ जीवन को बनाये रखने के लिए अनिवार्य होती हैं।
प्रश्न 49. प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?[2012A]
उत्तर-पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया होती है जिसके लिए निम्नलिखित चार वस्तुओं की आवश्यकता होती है- (i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) पौधे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं।
(ii) जल-पौधा इसे भूमि से जड़ों द्वारा प्राप्त करता है।
(iii) पर्णहरित यह पौधे की कोशिकाओं में हरित लवक में उपस्थित होता है।
(iv) सूर्य-प्रकाश-पौधे इसे सूर्य के प्रकाश से फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं जो क्लोरोफिल ‘a’ में संचित होकर इस प्रक्रिया में आवश्यकतानुसार उपयोग कर लिए जाते हैं।
प्रश्न 50. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए ।[2011C]
उत्तर- ,
फुफ्फुस की कूपिका | वृक्क के वृक्काणु |
(i) कूपिकाएँ फुफ्फुस की क्रियात्मक इकाई हैं। | (ⅰ) वृक्काणु वृक्क की क्रियात्मक इकाई हैं। |
(ii) एक वयस्क फुफ्फुस में लगभग 30 करोड़ कूपिकाएँ होती हैं। | (ii) एक वृक्क में लगभग दस लाख वृक्काणु होते हैं। |
(iii) कूपिकाएँ गैसीय विनिमय के लिए एक वृहद सतह बनाती हैं। | (iii) वृक्काणु रुधिर को शुद्ध करने के लिए वृहद सतह बनाती है। |
(iv) कूपिकाओं में फैली हुई रुधिर केशिकाओं के जाल से CO₂ और 2 02 का आदान-प्रदान होता है। | (iv) वृक्काणु के बोमन संपुट में रुधिर छनता है जिसमें कि जल और लवणों की सान्द्रता का नियमन होता है। |
प्रश्न 51. अत्यधिक व्यायाम के दौरान खिलाड़ी के शरीर में कैंप होने लगता है। क्यों ? [2011A]
उत्तर-अत्यधिक व्यायाम के दौरान खिलाड़ी के शरीर में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है और शरीर में अवायवीय श्वसन प्रारंभ होता है जिसमें पायरूवेट लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और खिलाड़ी के शरीर में क्रैंप इसी लैक्टिक अम्ल के कारण होता है।
प्रश्न 52. कठोर परिश्रम या अभ्यास करते समय साँस लेने की क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ? [M. Q., Set-V: 2011]
उत्तर-सामान्य अवस्था में मनुष्य की श्वसन दर 15-18 प्रति मिनट होती है, लेकिन कठोर व्यायाम के बाद यह दर बढ़कर 20-25 प्रति मिनट हो जाती है, क्योंकि व्यायाम के समय अधिक ऊर्जा आवश्यक होती है, इसलिए अधिक ऊर्जा के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जिसके फलस्वरूप कठोर व्यायाम के बाद श्वसन दर बढ़ जाती है।
प्रश्न 53. क्या होगा अगर मानव शरीर से दोनों वृक्कों को हटा दिया जाय ? [M. Q., Set-IV: 2011]
उत्तर-मनुष्य के शरीर से दोनों वृक्क हटा देने से उसका उत्सर्जन तंत्र नष्ट हो जायेगा जिससे यूरिया आदि पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पायेंगे ।
प्रश्न 54. पोषण क्या है ? इनके विभिन्न चरण कौन-कौन से हैं? [M. Q., Set-III: 2011]
अथवा, पोषण की परिभाषा दीजिए। पोषण की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-वह समस्त प्रक्रम जिसके द्वारा जीवधारी बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करते हैं तथा भोज्य पदार्थ से ऊर्जा मुक्त करके शरीर की वृद्धि करते हैं, उसको पोषण (Nutrition) कहते हैं। जीव में पोषण की दो विधियाँ हैं- (i) स्वपोषी या स्वयंपोषी पोषण और (ii) परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण ।
परपोषी पोषण निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है- (i) मृतोपजीवी पोषण या मृतजीवी पोषण, (ii) परजीवी पोषण, (iii) प्राणी समभोजी पोषण ।
प्रश्न 55. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?[NCERT]
उत्तर- हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से रक्ताल्पता (anaemia) हो जाता है। हमें श्वसन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की प्राप्ति नहीं होगी जिस कारण हम शीघ्र थक जाएँगे। हमारा भार कम हो जाएगा। हमारा रंग पीला पड़ जाएगा। हम कमजोरी अनुभव करेंगे।
प्रश्न 56. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं ?[NCERT]
उत्तर- उच्च संगठित पादयों में परिवहन के निम्नलिखित भाग होते हैं-
(i) जाइलम वाहिनियाँ जो खनित तथा जल को भूमि से शोषित करके पादप के शिखर तक ले जाती हैं।
(ii) फ्लोयम वाहिनियाँ पत्तियों में तैयार भोजन पादप के अन्य भागों तक ले जाती है जिन्हें संचित करने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 57. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?[NCERT]
उत्तर- मानव के शरीर में दो फेफड़े होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा लाखों सूक्ष्म कूपिकाओं में विभाजित होता है। वायु की अनुपस्थिति में कूपिका अति अल्प स्थान घेरती है जबकि वायु की उपस्थिति में कूपिका बहुत स्थान घेरती है। यदि इन कूपिकाओं को निकालकर फैला दिया जाए तो वे 80 वर्ग सेमी० क्षेत्रफल में फैल जाएगी। इससे श्वसन क्रिया में सहायता मिलती है।
प्रश्न 58. गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अधिकाल्पित किया है ? [NCERT]
उत्तर- जब हम श्वास अंदर लेते हैं तब हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं। वे बाहर की ओर झुक जाती हैं। इसी समय डायाफ्राम की पेशियाँ संकुचित तथा उदर पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। इससे वक्षीय गुहा का क्षेत्रफल बढ़ता है और साथ ही फुफ्फुस का क्षेत्रफल भी बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप श्वसन पथ से वायु अंदर आकर फेफडे में भर जाती है।
प्रश्न 59. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?[NCERT]
उत्तर- छुद्रांत्र में आंतरिक कला में अंगुली की आकृति के प्रवर्ध होते हैं जो छुद्रांत्र की सतह को फैलाकर बड़ा कर देते हैं जिससे पचित भोजन का अवशोषण अधिक मात्रा में हो सके। अंगुलाकृतियों में रुधिर कोशिकाओं का जाल बिछा होता है जो पचे हुए भोजन का अवशोषण करती हैं। यह सभी कोशिकाओं में वितरित कर दिया जाता है। इन कोशिकाओं में भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है तथा नये ऊतकों के निर्माण तथा टूटे हुए ऊतकों की मरम्मत हेतु होता है।
प्रश्न 60. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है ? [NCERT]
उत्तर-हमारे शरीर में वसा का पाचन आहार नाल की छुद्रांत्र में होता है। यकृत से निकलनेवाला पित्तरस, जो क्षारीय होता है, आये हुए भोजन के साथ मिलकर उसकी अम्लीयता को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है। इसी क्षारीय प्रकृति पर ही अग्नाशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है। अग्नाशयिक रस में तीन एंजाइम्स होते हैं-ट्रिप्सिन, एमीलोप्सिन तथा लाइपेज ।
पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है। इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया कहते हैं तथा इसे इमल्सीफाइड वसा कहते हैं। लाइपेज एंजाइम इमल्सीफाइड वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 61. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीज़नित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है ? [NCERT]
उत्तर-स्तनधारी तथा पक्षियों का हृदय चार वेश्मी होता है। ऊपर के दो कक्ष को दाहिना तथा बायाँ अलिन्द कहते हैं जबकि नीचे की ओर के कक्षबायाँ निलय कहलाते हैं। दाहिना अलिन्द में शरीर से आनेवाला अशुद्ध रुधिर एकत्र होता है जबकि बाएँ अलिन्द में फेफड़ों से आने वाला शुद्ध रक्त एकत्र होता है। इस प्रकार से दोनों प्रकार का रुधिर (शुद्ध तथा अशुद्ध) परस्पर मिल नहीं पाते। रुधिर के दोनों प्रकार के न मिलने से ऑक्सीजन के वितरण पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस प्रकार का रुधिर संचरण विशेष रूप से उन जन्तुओं के लिए अधिक लाभदायक होता है जिनमें दैनिक कार्यों के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ स्तनधारी, पक्षी आदि। ऊर्जा की अधिक आवश्यकता शरीर के तापक्रम को सम बनाए रखने के लिए होती है।
प्रश्न 62. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ? [NCERT]
उत्तर-जीवधारी के शरीर की प्रत्येक कोशिका कार्बनिक यौगिकों द्वारा निर्मित होती है जिनमें कार्बन प्रमुख अवयव होता है। इन कोशिकाओं का जीवनकाल निश्चित होता है जिसके पश्चात् जीव की मृत्यु हो जाती है। कुछ कोशिकाएँ कुछ निश्चित सीमा तक विकसित होती है तत्पश्चात् वह विभाजित होती हैं। उसके जीवन काल में उसे सभी जैविक कार्यों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो उसे कार्बनिक यौगिकों के विघटन से प्राप्त होती है। ये कार्बनिक यौगिक भोजन का रूप धारण करते हैं। ये भोजन ऊर्जा प्राप्ति का बाह्य यौगिक बनाते हैं स्वयंपोषी (हरे पौधों) में कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण से प्राप्त होती है तथा जल जड़ों द्वारा भूमि से प्राप्त करते हैं जिसके साथ खनिज भी अवशोषित कर लिए जाते हैं। ये पौधे हरे भागों में सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में परस्पर संयोग करके जटिल कार्बनिक पदार्थ बनाते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
प्रश्न 63. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है? [NCERT]
उत्तर – भोजन के पाचन में लार की अति महत्त्वपूर्ण भूमिका है। लार एक रस है जो तीन जोड़ी लाल ग्रंथियों से मुँह में उत्पन्न होता है। लार में एमिलेस नामक एक एंजाइम होता है जो मंड जटिल अणु को लार के साथ पूरी तरह मिला देता है। लार के प्रमुख भूमिका/कार्य हैं-
(i) यह मुख के खोल को साफ रखती है।
(ii) यह मुख खोल में चिकनाई पैदा करती है जिससे चबाते समय रगड़ कंम होती है।
(iii) यह भोजन को चिकना एवं मुलायम बनाती है।
(iv) यह भोजन को पचाने में भी मदद करती है।
(v) यह भोजन के स्वाद को बढ़ाती है।
(vi) इसमें विद्यमान टायलिन नामक एंजाइम स्टार्च का पाचन कर उसे माल्टोज में बदल देता है।
प्रश्न 64. मूत्र बनने की मात्रा का नियम किस प्रकार होता है ?बी[NCERT]
उत्तर- मूत्र की मात्रा पानी के पुनः अवशोषण पर प्रमुख रूप से निर्भर करती है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी की मात्रा का पुनः अवशोषण निम्नलिखित पर निर्भर करता है-
(i) शरीर में अतिरिक्त पानी की कितनी मात्रा है जिसको निकालना है। जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त जल है, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है। जब शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम है, तब सांद्र मूत्र की थोड़ी-सी मात्रा उत्सर्जित होती है।
(ii) कितने घुलनशील उत्सर्जक, विशेषकर नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जक; जैसे- यूरिया तथा यूरिक अम्ल तथा लवण आदि का शरीर, से उत्सर्जन होता है। जब शरीर में घुलनशील उत्सर्जक की अधिक मात्रा हो, तब उनके उत्सर्जन के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। अतः, मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है। स्वपोषी पोषण के आवश्यक परिस्थितियाँ हैं- सूर्य-प्रकाश, क्लोरोफिल, कार्बन डाइऑक्साइड और जल। इसके उपोत्पाद आणविक ऑक्सीजन है।
प्रश्न 65. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं ?[NCERT]
उत्तर-उत्सर्जक पदार्थों से मुक्ति पाने के लिए पादप निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करते हैं-
(i) अनेकों उत्सर्जक उत्पाद कोशिकाओं के घानियों में भंडारित रहते हैं। पादप कोशिकाओं में तुलनात्मक रूप से बड़ी धानियाँ होती हैं।
(ii) कुछ उत्सर्जक उत्पाद पत्तियों में भण्डारित रहते हैं। पत्तियों के गिरने के साथ ये हट जाते हैं।
(iii) कुछ उत्सर्जक उत्पाद, जैसे रेजिन या गम, विशेष रूप से निष्क्रिय पुराने जाइलम में भंडारित रहते हैं।
(iv) कुछ उत्सर्जक उत्पाद जैसे टेनिन, रेजिन, गम छाल में भंडारित रहते हैं। छाल के उतरने के साथ हट जाते हैं।
(v) पादप कुछ उत्सर्जक पदार्थों का उत्सर्जन जड़ों के द्वारा मृदा में भी करते हैं।
प्रश्न 66. वाष्पोत्सर्जन क्या है ?
उत्तर-वाष्पोत्सर्जन एक जैविक क्रिया है। इस क्रिया में पानी पौधों के वायवीय भागों से वाष्प के रूप में बाहर निकलता है। यह क्रिया रक्षक कोशिकाओं के द्वारा बाहर निकलती है।
प्रश्न 67. विसरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-विसरण वह क्रिया है जिसमें उच्च सांद्रता क्षेत्र से निम्न सांद्रता की ओर आयनों और अणुओं का अभिगमन होता है। विसरण में अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर अभिगमन नहीं होता है। यह क्रिया ठोस, द्रव और गैस तीनों में हो सकती है।
प्रश्न 68. जल-रंध्र किसे कहते हैं ?
उत्तर- ये विशेष रचनाएँ जलीय पौधों या छायादार शाकीय पौधों में पाई जाती हैं। ये पत्तियों की शिराओं के शीर्ष पर अति सूक्ष्मछिद्र के रूप में होती हैं जिसमें पानी बूँदों के रूप में निःस्राव होता है। इसी कारण उन्हें जलमुख या जलरंध्र कहते हैं।
प्रश्न 69. ऑक्सी श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्णरूपेण CO₂ तथा H₂O में हो जाता है। इस श्वसन में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 70. आँत में विलाई पाये जाते हैं, लेकिन अमाशय में नहीं, क्यों ?
उत्तर-आँत में पचे हुए भोजन के अवशोषण के कार्य को पूरा करने के लिए विलाई पाये जाते हैं। ये अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं। आमाशय में अवशोषण का कार्य नहीं के बराबर होता है। इस कारण इसमें विलाई नहीं पाये जाते हैं।
प्रश्न 71. काइम और काइल में अंतर बताइए ।
उत्तर- अमाशय की दीवार की क्रमाकुंचन गति के कारण बनी भोजन की लुग्दी को काइम कहते हैं। यह अम्लीय प्रकृति का होता है, जबकि ग्रहणी की दीवार की क्रमाकुंचन गति के कारण बने पेस्ट को काइल कहते हैं। यह क्षारीय प्रकृति का होता है।
प्रश्न 72. श्वसन में माइट्रोकॉण्ड्यिा की क्या भूमिका है ?
उत्तर-श्वसन की ग्लाइकोलिसिस क्रिया कोशिका द्रव्य में लेकिन पाइरूविक अम्ल तथा श्वसन के दौरान बने NADH, का ऑक्सीकरण माइट्रोकॉण्ड्रिया के अंदर होता है। इसके लिए आवश्यक प्रोटीन माइट्रोकॉण्ड्यिा के क्रिस्टी में उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा माइट्रोकॉण्ड्रिया ATP जंतुओं का संचय भी करती है। अतः माइट्रोकॉण्ड्यिा ऑक्सीकरण द्वारा जीव कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का उत्पादन करता है। इसी कारण इसे कोशिका का ऊर्जागृह (पावर हाउस) भी कहते हैं।
प्रश्न 73. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर-मनुष्य के शरीर में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस का परिवहन रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन नामक वर्णक की मदद से होता है। यह वर्णक फेफड़ों के वायुकोष में उपस्थित वायु से ऑक्सीजन को ग्रहण कर इसे शरीर के विभित्र कोशिकाओं में विसरित कर देता है। पुनः यह उपापचय क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैस को ग्रहण कर रक्त परिवहन के द्वारा फेफड़ों तक पहुँचाता है। फेफड़ों द्वारा इस कार्बन डाइऑक्साइड गैस को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
प्रश्न 74. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर-मानव जैसे बहुकोशिकीय जीवों जिनके शरीर में कोशिकाएँ तथा ऊतक ही नहीं होते, वरन् अंग तथा अंग संस्थान भी होते हैं, इनमें ऊर्जा की बहुत आवश्यकता होती है। अधिकांशतः अंग शरीर में अन्दर की ओर स्थित होते हैं, अतः विसरण क्रिया द्वारा उन सभी अंगों को ऑक्सीजन नहीं पहुँचती जिसके परिणामस्वरूप उनमें उपस्थित भोजन का ऑक्सीकरण नहीं हो पाता। परिणामतः शारीरिक अंग कार्य नहीं करते। अतः, मानव जैसे जीवों में ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में पहुँचाने हेतु एक तंत्र होता है जिसे श्वसन तंत्र कहते हैं।
प्रश्न 75. जीवधारियों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर- जीवधारियों (जीवों) को पोषण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है-
(i) ऊर्जा उत्पादन के लिए-शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जीवधारियों को यह ऊर्जा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।
(ii) शरीर की टूट-फूट की मरम्मत के लिए विभिन्न जैविक क्रियाओं में शरीर के ऊतकों की टूट-फूट होती है, इनकी मरम्मत के लिए पोषण की आवश्यकता होती है।
(iii) वृद्धि के लिए नये जीवद्रव्य से नई कोशिकाएँ बनती हैं। इनसे जीवों की वृद्धि होती है।
(iv) उपापचयी क्रियाओं के नियंत्रण के लिए भोजन को पचाने तथा श्वसन आदि उपापचयी क्रियाओं में कुछ निर्माणकारी और कुछ विनाशकारी क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियाओं के सम्पन्न होने में तथा इन क्रियाओं पर नियंत्रण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 76. किण्वन क्या है? इसके महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-किण्वन वह क्रिया है, जिसमें सूक्ष्मजीव ग्लूकोज या शर्करा का अपूर्ण विघटन कोशिका के बाहर करके CO, तथा सरल कार्बनिक पदार्थ; जैसे-इथाइल ऐल्कोहॉल, लैक्टिक एसिड, मैलिक एसिड, ऑक्जैलिक एसिड, साइट्रिक एसिड इत्यादि का निर्माण करते हैं, जिसके फलस्वरूप कुछ ऊर्जा मुक्त होती है।
किण्वन की क्रिया का निम्नलिखित महत्त्व है-
(i) इसकी सहायता से एल्कोहल, बीयर आदि का उत्पादन किया जाता है।
(ii) इस क्रिया के द्वारा कई महत्त्वपूर्ण कार्बनिक यौगिकों जैसे ऐसिटिक अम्ल, ल्यूटेरिक अम्ल आदि का उत्पादन किया जाता है।
(iii) इस तकनीक का उपयोग बेकरी तथा सिरका उद्योग में किया जाता है।
( iv) जूट, सन्, तंबाकू, चाय, चमड़ा इत्यादि उद्योग में इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
(v) इसका उपयोग रंग, साबुन, प्लास्टिक, रेजिन, ईथर के निर्माण में किया जाता है।
प्रश्न 77. निम्नलिखित श्वासनांगों पर टिप्पणी लिखिए :(1) लेरिंक्स (ii) ट्रैकिया (iii) ब्रींकाई फेफड़े।
उत्तर- (i) लेरिंक्स यह श्वास नली का वह भाग है जहाँ ग्रसनी ट्रैकिया से जुड़ती है। इसे स्वर या कण्ठ भी कहते हैं। यह भोजन नली की प्रतिपृष्ठ सतह पर स्थित होता है। इसकी गुहा (कंठ कोष) आगे की तरफ ग्लॉटिस छिद्र द्वारा ग्रसनी से जुड़ता है। इसके ऊपर इपीग्लॉटिस नामक एक उपास्थि होती है जो भोजन निगलते समय ग्लॉटिस को बंद कर देती है। इसका मुख्य कार्य ध्वनि उत्पादन है। को
(ii) ट्रैकिया यह लगभग 12cm लंबी उपास्थि की एक नली है जो हवा लेरिंक्स से ब्राँकस तक लाती है।
(iii) ब्राँकाई ट्रैकिया वक्षीय गुहा में जाकर दो शाखाओं में बँट जाते हैं। जिन्हें ब्राँकाई कहते हैं। इससे होकर वायु फेफड़ों में पहुँचती है।
(iv) फेफड़े-प्रत्येक ब्राँकस अपनी तरफ के फेफड़ों में खुलते हैं। ये ब्राँकस फेफड़ों में प्रवेश करने के बाद अनेक पतली-पतली शाखाओं में बँट जाते हैं। ये शाखाएँ पुनः छोटे-छोटे कोष्ठकों में बँट जाती हैं, जिन्हें कूपिका कहते हैं। इसी के लिए पतली एवं दीवार द्वारा वायु का आदान-प्रदान होता है।
प्रश्न 78. प्राणि समभोजी पोषण और मृतोपजीवी पोषण में अंतर बताएँ ।
उत्तर- ,
प्राणि समभोजी पोषण | मृतोपजीवी पोषण |
(i) ये जंतु ठोस पदार्थों का भक्षण करते हैं। | (ⅰ) ये मृत व गले-सड़े पदार्थों से भोजन लेते हैं। |
(ii) यह प्राणी के शरीर में होता है। उदाहरण-अमीबा, चूहा, मनुष्य आदि । | (ii) यह शरीर के बाहर होता है। उदाहरण-फफूँदी आदि । |
प्रश्न 79. लसीका वाहिकाएँ और रुधिर वाहिकाएँ में अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर-
-लसीका वाहिकाएँ | रक्त वाहिकाएँ |
1. रंगहीन होती हैं। | 1. ये लाल रंग की होती हैं। |
2. ये लसीका का परिवहन करती हैं। | 2. ये रक्त का परिवहन करती हैं। |
3. ये रक्त कोशिकाओं से बड़ी होती है | 3. ये लसीका वाहिकाओं से तंग होती हैं। |
प्रश्न 80. मृतजीवी और परजीवी में अंतर लिखें ।
उत्तर-,
मृतजीवी | परजीवी |
(i) मृत और क्षय शरीर से भोजन लेते हैं। |
(ⅰ) ये जीव दूसरे जीवों पर आश्रित रहते हैं। |
(ii) ये मृतोपजीवी हैं। | (ii) ये प्राणी समभोजी हैं। |
(iii) मृतजीवी जीवों में फफूँदी, यीस्ट, छत्रक और जीवाणु जैसे जीव आते हैं। | (iii) इसमें मलेरिया परजीवी, फीता कृमि गोल कृमि आदि जीव आते हैं। |
प्रश्न 81. अंतःकोशिकीय और बाह्यकोशिकीय पाचन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
अंतः कोशिकीय पाचन | बाह्य कोशिकीय पाचन |
(i) ये निम्न वर्ग के जंतुओं में होता है, जैसे-अमीबा । | (ⅰ) यह उच्च वर्ग के जंतुओं में पाया जाता है। |
(ii) कोशिकीय एंजाइम की सहायता से कोशिका के अंदर होता है। | (ii) एंजाइम की सहायता से कोशिका के बाहर होता है। |
(iii) पाचक रस जीवद्रव्य में होते हैं। | (iii) पाचक रस ग्रन्थियों से आहार नाल में आते हैं। |
(iv) पाचन के बाद पूरा भोजन वहीं रहता है। | (iv) पाचित भोजन का ही अवशोषण होता है। |
प्रश्न 82. अंतर्ग्रहण और मल-परित्याग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
अंतर्ग्रहण | मल परित्याग |
(i) इस क्रिया में भोजन शरीर के अंदर लिया जाता है। | (i) इस क्रिया में अपचा भोजन शरीर से बाहर निकाला जाता है। |
(ii) यह ठोस या द्रव हो सकता है। | (ii)यह ठोस-द्रव का मिश्रण होता है। |
(iii)इसमें भोजन के साथ रुक्षांश भी होता है। | (iii) इसमें रुक्षांश और अपचा भोजन होता है। |
(iv) इसे भोजन लेना कहते हैं। | (iv) इसे मल परित्याग कहते हैं। |
प्रश्न 83. प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण, | श्वसन |
(1) यह पौधों की उन कोशिकाओं में होता है जिनमें हरित लवक पाया जाता है। | (ⅰ) यह पौधों और जंतुओं की प्रत्येक कोशिकाओं में होता है। |
(ii) यह एक उपचय क्रिया है। | (ii) यह एक अपचय क्रिया है। |
(iii) इसमें जल और CO₂ कच्ची सामग्री के रूप और ग्लूकोज व ऑक्सीजन उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं। | (iii) इसमें प्रकाश-संश्लेषण से उल्टा होता है। |
(iv) इसमें ऊर्जा का भोजन के रूप में संग्रह होता है। | (iv) इसमें भोजन की ऊर्जा निष्कासित होती है। |
प्रश्न 84. लाल रुधिर कणिकाएँ और श्वसन रुधिर कणिकाएँ में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- ,
लाल रुधिर कणिकाएँ | श्वसन रुधिर कणिकाएँ |
1. इनकी संख्या अधिक होती है। | 1. इनकी संख्या लाल रुधिर कणिकाओं से कम होती हैं। |
2. ये अस्थिमज्जा में बनती हैं। | 2. ये हमारे शरीर को बीमारियों और संक्रमण से बचाती हैं। |
3. ये ऑक्सीजन का परिवहन करती हैं। | 3. ये प्रतिरक्षी बनाती हैं, जो आक्रमणकारियों से लड़ती हैं। |
4. इसकी सतह पर लाल रंग का वर्णक हीमोग्लोबिन पाया जाता है। | 4. रुधिर का थक्का जमाने में सहायक होती है। |
प्रश्न 85. विसरण और परासरण में अंतर स्पष्ट करें ।
उत्तर-,
विसरण | परासरण |
1. जब दो विभिन्न सांद्रता के पदार्थ एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो अणु कम सांद्रता से अधिक सांद्रता की ओर गति करते हैं। | 1. जब दो विभिन्न सांद्रता के पदार्थ एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो अणु अधिक सान्द्रता से कम सान्द्रता की ओर बढ़ते हैं। |
2. इसमें किसी प्रकार की झिल्ली की आवश्यकता नहीं होती है। | 2. इसमें दोनों विलयनों के बीच अर्द्ध- पारागम्य झिल्ली होती है। |
3. यह दोनों दिशाओं में होता है। | 3. यह एक ही दिशा में होता है। |
4. इसमें कोई दाब उत्पत्र नहीं होता है। | 4. इसमें परासरण दाब उत्पन्न होता है। |
5.यह ठोस, द्रव और गैस सभी में होता है। | 5. यह द्रव और उसमें घुलित पदार्थों में होता है। |
प्रश्न 86. मुखगुहा में पाचन क्रिया समझाइए ।
उत्तर-मुखगुहा में पाचन क्रिया-मुख गुहा में भोजन को दाँतों द्वारा चबाया और पीसा जाता है। चबाते समय भोजन से लार अच्छी तरह मिलकर उसे लुग्दी में बदल देता है। अब लार में उपस्थित एंजाइमों द्वारा भोजन का निम्न प्रकार पाचन होता है-
(i) म्यूसिन यह भोजन को चिकना बनाता है जिससे यह आसानी से सरक कर आहार नाल में बढ़ जाता है।
(ii) टायलिन यह भोजन में उपस्थित मण्ड (स्टार्च) को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। यदि टायलिन बहुत देर तक क्रिया करता रहे तो माल्टोज ग्लूकोज में बदल जाता है। इसलिए अधिक देर तक भोजन चबाने से मीठा लगने लगता है।
(iii) लाइसोजाइम यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं की कोशिकाभित्ति के पॉलीसेकेराइड्स को पचाकर जीवाणुओं को मारता है।
प्रश्न 87. प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को निम्न कारक प्रभावित करते हैं-
(i) प्रकाश-प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया सूर्य-प्रकाश में होती है, इसलिए प्रकाश का प्रकार तथा उसकी तीव्रता इस क्रिया को प्रभावित करती हैं। प्रकाश की लाल एवं नीली किरणों तथा 100 फुट कैंडल से 3000 फुट कैंडल तक प्रकाश तीव्रता प्रकाश-संश्लेषण की दर को बढ़ाती है जबकि इससे उच्च तीव्रता पर यह क्रिया रूक जाती है।
(ii) CO, – वातावरण में CO, की मात्रा 0.03% होती है। यदि एक सीमा 2 तक CO, की मात्रा बढ़ाई जाए, तो प्रकाश-संश्लेषण की दर भी बढ़ती है, लेकिन अधिक होने से घटने लगती है।
(iii) तापमान- प्रकाश संश्लेषण के लिए 25-35°C का तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है। इससे अधिक या कम होने पर दर घटती-बढ़ती रहती है।
(iv) जल-इस क्रिया के लिए जल एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है। जल की कमी होने से प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है क्योंकि जीवद्रव्य की सक्रियता घट जाती है, स्टोमेटा बंद हो जाते हैं और प्रकाश संश्लेषण की दर घट जाती है।
(v) ऑक्सीजन- प्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की सांद्रता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती है, लेकिन यह पाया गया है कि वायुमंडल में 0, की मात्रा बढ़ने से प्रकाश-संश्लेषण की दर घटती है।
प्रश्न 88. मनुष्य में श्वास लेने की क्रियाविधि के प्रमुख दो आधारों का विवरण दीजिए ।
उत्तर- श्वासोच्छ्वास की क्रिया में गैसीय आदान-प्रदान के लिए वायुमंडलीय वायु को फेफड़ों के अंदर लिया जाता है तथा श्वसन के पश्चात् फेफड़े की वायु (CO₂) को शरीर से बाहर किया जाता है। मनुष्य के श्वासोच्छ्वास की क्रिया विधि दो चरणों में पूरी होती है-
(1) निश्वसन वायुमंडलीय या वातावरणीय वायु फेफड़ों में भरने की क्रिया को निश्वसन कहते हैं। इस क्रिया में मस्तिष्क के श्वसन केंद्र से प्राप्त उद्दीपन के कारण बाह्य इंटरकॉस्टल पेशियाँ संकुचित होती हैं, जिससे पसलियाँ बाहर की ओर झुक जाती हैं। इसी समय डायफ्राम की अरीय पेशियाँ संकुचित तथा उदर पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं, जिससे वक्षीय गुहा का आयतन बढ़ने के साथ फेफड़े का आयतन भी बढ़ जाता है, फलतः श्वसन पथ से वायु अंदर आकर फेफड़े में भर जाती है।
(ii) निःश्वसन वह क्रिया है जिसके द्वारा फेफड़ों की वायु को वायु पथ द्वारा शरीर से बाहर किया जाता है। इस क्रिया में मस्तिष्क के श्वसन केंद्र की उद्दीपन के कारण अंतः इंटरकॉस्टल पेशियाँ संकुचित, डायफ्राम की पेशियाँ शिथिल तथा उदर गुहा की पेशियाँ संकुचित होती हैं, फलतः वक्षीय गुहा के साथ फेफड़े का आयतन कम हो जाता है और फेफड़े की वायु श्वसन पथ से होते हुए बाहर निकल जाती है।