Bihar Board 12th Physics Subjective Question 2025: भौतिकी सब्जेक्टिव वायरल क्वेश्चन यहां से देखें, @officialbseb.com
Bihar Board 12th Physics Subjective Question 2025:
Model paper: physics
प्रश्न 1. प्रतिरोध बक्स में लगी तार की कुंडलियाँ तार को दोहरा करके क्यों बनाई जाती है?
उत्तर- प्रतिरोध बक्स में प्रत्येक प्लग के नीचे पीतल के गुटकों से प्रतिरोध- तार की कुंडली संबंधित रहती है। प्रतिरोध-तार को दोहरा करके एक अचालक पदार्थ के छोटे बेलन पर कुंडली के रूप में लपेटा जाता है। दोहरा कर लपेटा प्रतिरोध-तार प्रत्येक स्थान पर एक-दूसरे से विद्युतरोधित (insulated) रहता है। तार को दोहरा कर देने से इससे बनी कुंडली में धारा प्रत्येक स्थान पर दो विपरीत दिशाओं में प्रवाहित होती है जिस कारण कुंडली से संबद्ध (linked) चुंबकीय फ्लक्स का मान हमेशा शून्य होता है। इससे कुंडली के स्वप्रेरण (self-induction) का प्रभाव शून्य होता है। इस प्रकार, दोहरे तार की बनी कुंडली के रहने से परिपथ में प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होती।
प्रश्न 2. विभवमापी एवं वोल्टमीटर दोनों का व्यवहार विभवांतर मापने के लिए किया जाता है। एक ही काम के लिए इस प्रकार के दो यंत्रों की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर- वोल्टमीटर से जब किसी परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर मापा जाता है तो इससे भी अल्प-धारा प्रवाहित होती है जिससे मुख्य परिपथ की धारा में कुछ कमी हो जाती है। इसके फलस्वरूप उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर कुछ कम हो जाता है। सेल का विद्युत वाहक बल खुले परिपथ में इसकी प्लेटों के बीच का विभवांतर होता है। सेल के सिरों पर वोल्टमीटर लगा देने पर इससे कुछ धारा प्रवाहित होती है और सेल का कुछ आंतरिक प्रतिरोध होने से यह सेल के विभव को कुछ कम करता है। अतः, वोल्टमीटर द्वारा मापा गया विभवांतर या सेल का विद्युत वाहक बल यथार्थ नहीं होता है। परन्तु, विभवमापी (potentiometer) की संतुलन-विधि में सेल से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती। अतः, विभवमापी विभवांतर या सेल के विद्युत वाहक बल का यथार्थ मान देता है। इसके अतिरिक्त चूँकि विभवमापी की विधि शून्य-विक्षेप विधि (null deflection method) है, अतः इससे प्रयोग में विक्षेप-संबंधी कोई त्रुटि नहीं हो पाती है।
प्रश्न 3. विद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण को परिभाषित करें तथा इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर – विद्युत द्विध्रुव के किसी एक आवेश तथा दोनों आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को विद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण p कहते हैं। इसका S.I. मात्रक कूलॉम x मीटर होता है।
-4. समानांतर प्लेट संधारित्र में दूसरे प्लेट का क्या कार्य है ?
उत्तर- समानांतर प्लेट संधारित्र में दूसरा प्लेट आकार को स्थिर रखते हुए यह पहली प्लेट के विभव को कम कर देती है, अतः उसी विभव पर अधि क आवेश संचित हो जाता है।
प्रश्न 5. शंट के दो उपयोग लिखें ।
उत्तर-शंट के दो उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) इसके उपयोग से सुग्राही विद्युत् धारामापी या गैल्वेनोमीटर को नुकसान से बचाया जाता है। (ii) शंट के उपयोग से धारा को विभक्त किया जाता है तथा शंट के मान को बदलकर धारामापी के परास को बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 6. ऐमीटर में शंट क्यों लगा रहता है?
उत्तर- किसी विद्युत परिपथ से प्रवाहित होनेवाली धारा का मान मापने के लिए ऐमीटर को परिपथ में हमेशा श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए जिससे कि कुल धारा ऐमीटर से होकर प्रवाहित हो सके। ऐमीटर का प्रतिरोध कम-से-कम होना चाहिए जिससे कि परिपथ से प्रवाहित धारा का मान न बदले। ऐमीटर का प्रतिरोध न्यूनतम करने के लिए उसके समांतरक्रम में बहुत कम प्रतिरोध का शंट लगा दिया जाता है- क्योंकि जब दो प्रतिरोध S और G (मान लिया) समांतरक्रम में जोड़े जाते हैं तब उनका तुल्य प्रतिरोध R = GS G+S होता है, और इस सूत्र से स्पष्ट है कि R का मान S तथा G दोनों से कम होगा। अतः, शंट S का मान बहुत कम लेकर ऐमीटर के तुल्य प्रतिरोध का मान न्यूनतम किया जा सकता है। एक आदर्श ऐमीटर वह है जिसे परिपथ में लगा देने पर उसमें प्रवाहित धारा का मान न बदले। यह तभी संभव है जबकि ऐमीटर का प्रतिरोध शून्य हो जाए। चूँकि प्रतिरोध शून्य नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे न्यूनतम किया जाता है।
प्रश्न 7. माडुलन को परिभाषित करें। इसके प्रकारों को लिखें।
उत्तर-निम्न आवृत्ति के मूल सिग्नलों को अधिक दूरियों तक प्रेषित नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रेषित पर, निम्न आवृत्ति के संदेश सिग्नलों की सूचनाओं को किसी उच्च आवृत्ति की तरंग पर अध्यारोपित (superpose) किया जाता है जो सूचना के वाहक (carrier) की भाँति व्यवहार करती है। इस प्रक्रिया को मॉडुलन कहते हैं। माडुलन तीन प्रकार के होते हैं:- (i) आयाम मॉडुलन (ii) आवृत्ति मॉडुलन (iii) कला मॉडुलन ।
प्रश्न 8. तप्त तार यंत्र का व्यवहार प्रत्यावर्ती धारा तथा सरल धारा दोनों के मान निकालने में किया जाता है, क्यों?
उत्तर-धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग कर तप्त तार यंत्र अर्थात् तप्त तार ऐमीटर तथा तप्त तार वोल्टमीटर बनाए जाते हैं। इनमें एक तार इस प्रकार व्यवस्थित रहता है कि जब इन यंत्रों से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब तार गर्म होकर लंबाई में बढ़ जाता है जिससे इससे जुड़ा सूचक (pointer) स्केल पर विक्षेपित होकर धारा और विभवांतर का पाठ्यांक देता है। उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग के समानुपाती (Woc 12) होती है। इसलिए तार की लंबाई में वृद्धि भी धारा के वर्ग के समानुपाती होती है जिस कारण यह वृद्धि धारा के प्रवाह की दिशा पर निर्भर नहीं करती। प्रत्यावर्ती धारा में धारा की दिशा एक निश्चित समयांतराल पर बदलती रहती है, परंतु तार में उत्पन्न ऊष्मा धारा के परिमाण पर निर्भर करती है, न कि उसकी दिशा पर। इस प्रकार यह स्पष्ट है। कि तप्त तार ऐमीटर और वोल्टमीटर प्रत्यावर्ती धारा मापने और प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल मापने के लिए व्यवहार में लाए जा सकते हैं।
इससे यह भी स्पष्ट है कि तप्त तार यंत्रों (ऐमीटर तथा वोल्टमीटर) का व्यवहार सरल धारा (direct current) मापने के लिए भी किया जा सकता है।
प्रश्न 9. आयनमंडल क्या है ?
उत्तर- आयनमंडल – पृथ्वी के वायुमंडल का वह भाग जहाँ सूर्य के तीव्र विकिरण के कारण गैसों का आयनीकरण हो जाता है, आयनमंडल कहलाता है।
प्रश्न 10. दो विद्युत बल रेखाएं क्यों एक-दूसरे को काट नहीं सकती हैं ? क्या दो समविभव सतह काट सकती हैं ?
उत्तर – यदि दो विद्युत बल रेखाएँ एक-दूसरे को काटती है तो प्रतिच्छेद बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ होंगी । इसका अर्थ है कि उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के दो मान हैं जो कि संभव नहीं है। नहीं, क्योंकि दो समविभव पृष्ठ प्रतिच्छेदित करते हैं तो प्रतिच्छेद-बिन्दु पर वैद्युत विभव के दो मान होगें जो संभव नहीं है ।
प्रश्न 11. p प्रतिरोधकता वाले तार की लंबाई दूगनी कर दी गई है। तार की नयी प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर -नयी प्रतिरोधकता ही रहेगी, क्योंकि प्रतिरोधकता चालक के पदार्थ पर निर्भर करती है उसकी विमाओं पर नहीं ।
प्रश्न 12. अनुचुम्बकीय तथा प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के उन दो अभिलाक्षणिक गुणधर्मों का उल्लेख कीजिए, जो इन दो प्रकार के पदार्थों के व्यवहार में भेद दर्शाते हैं ।
उत्तर- प्रति चुम्बकीय एवं अनुचुम्बकीय पदार्थ में निम्न अन्तर है-
(i) यह पदार्थ ठोस, द्रव तथा गैस अवस्था में पाए जाते हैं। जैसे Sb, Bi, Cu, Ag, Zn एल्कोहल, He निष्क्रिय गैस ।= यह भी तीनों अवस्था में पाया जाता है। जैसे- Pt, Mn, Pd, Os, द्रव, ऑक्सीजन, लौह लवण घोल आदि
(ii) इसकी चुम्बकीय प्रवृत्ति (X2) का मान छोटा तथा ऋणात्मक होता है। =इसका मान छोटा तथा धनात्मक होता है ।