Bihar Board 12th Hindi Tirichh Subjective Question 2025: तिरिछ, प्रश्न उत्तर ,(सीधें परीक्षा 2025 में लड़ेगा) याद कर ले, @Officialbseb.com

Bihar Board 12th Hindi Tirichh Subjective Question 2025

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Bihar Board 12th Hindi Tirichh Subjective Question 2025:

गद्य-12 तिरिछ

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1. आदमी भागता है तो जमीन पर वह सिर्फ अपने पैरों के निशान नहीं छोड़ता, बल्कि हर निशान के साथ वहाँ की धूल में अपनी गंध भी छोड़ जाता है। ISc. & Com. 2015AJ
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत भाग-2 के तिरिछ शीर्षक कहानी से ली गई है। इसके कहानीकार विद्वान लेखक उदय प्रकाश हैं। प्रस्तुत पंक्ति के लेखक के साथी धानू ने कहानीकार को तिरिछ के संबंध में अनेक जानकारियाँ दीं। उसने बताया कि तिरिछ में काले नाग से सौ गुना ज्यादा जहर होता है। साँप तो पैर पड़ने पर काटता है, लेकिन तिरिछ तो नजर मिलते ही दौड़ता है और पीछे पड़ जाता है। उससे बचने के लिए सीधे नहीं, मेवा, चक्कर काटते हुए, गोल-गोल दौड़ना चाहिए। तिरिछ के बारे में धानू ने बताया कि वह मनुष्यों के पैरों के निशान से उठनेवाली गंध के सहारे उसका पीछा करता है। अतः, वह जिसके पीछे पड़ जाए, उसे चाहिए कि पहले तो वह बिल्कुल पास-पास कदम रखकर, जल्दी-जल्दी कुछ दूर दौड़े फिर चार-पाँच बार खूब लम्बी-लम्बी छलांग लगा दे। ऐसा करने से तिरिछ उलझन में पड़ जाता है और इधर-उधर भटकने लगता है।

2. चांदनी में जो ओस और शीत होती है उसमें अमृत होता है |Arts 2017Al
उत्तर- उन लोगों का कहना था कि बहुत से कीड़े-मकोड़े और जीव-जन्तु रा में चन्द्रमा की रोशनी में दुबारा जो उठते हैं। चाँदनी में जो ओस और शीत होती है उसमें अमृत होता है और कई बार ऐसा देखा गया है कि जिस साँप को मरा हुआ समझकर रात में यों ही फेंक दिया जाता है उसका शरीर चाँद को शीत में भींग कर दुबारा उठता है और वह भाग जाता है। फिर वह हमेशा बदला लेने की ताक में रहता है। यद्यपि इस तरह की मान्यताएँ अवैज्ञानिक होती हैं तथापि यह सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है जो मनुष्य को अधिक गहराई तक प्रभावित करती है।

3. यह चुप्पी हमें गम्भीर गौरवशाली, आश्चर्यजनक और भारी-भरकम लगती है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री उदय प्रकाश द्वारा रचित कहानी ‘तिरिछ’ से ली गई है, यहाँ लेखक ने अपने पिताजी के स्वभाव की चर्चा की है। लेखक के पिता अन्तर्मुखी और संवेदना के व्यक्ति हैं। उनकी मितभाषिता व गंभीरता उन्हें एक रहस्यमय पुरुष की छवि प्रदान करती है। उनकी संतान उन्हें इसी रूप में देखना चाहती है। उनकी पत्नी भी चाहती है कि लेखक के पिताजी अपनी दुनिया में सुख-चैन से रहें उनकी चुप्पी लेखक को बहुत सरल, गम्भीर गौरवशाली आश्चर्यजनक और भारी-भरकम लगती थी। इस कथन से लेखक के पिताजी का स्वभाव प्रकाश में आता है। उनके पिता संकोची, परन्तु गौरव वाले हैं। आत्मस्वाभिमान स्पष्ट झलकता है।

4. जैसे जब मेरी फीस की बात आई थी, उस समय हमारे पास का आखिरी गिलास भी गुम हो गया था और सब लोग लोटे में पानी पीते थे।
उत्तर- प्रस्तुत संदर्भ में लेखक के घर की अनेक समस्याओं का उल्लेख है जिन समस्याओं को लेखक के पिता क्षण भर में हल कर देते थे। जब लेखक स्कूल में पढ़ता था तो उसकी फीस की बात आने पर पिता की चुप्पी लेखक की आर्थिक कमी को ही इंगित करती है। साथ ही गिलास के गुम होने पर लोटे में पानी पीना आर्थिक तंगी का ही बयान करता है। एक रिटायर्ड हेडमास्टर की चुप्पी उसके घर की बदहाली का ही संकेत देती है, परन्तु पुनः दो-तीन दिन के बाद फीस मिलना पुत्र के लिए गर्व की बात बन जाती है। आखिर किसी तरह पिता ने अपने दायित्व का निर्वाह किया। यह दायित्व का निर्वहन ही गर्व की बात है।

5. लेखक के पिता के चरित्र का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर- लेखक के पिताजी 55 साल के थे। वह सोचते ज्यादा थे और बोलते कम थे। उन्हें संसार की सारी भाषाएं बोलने आती थी। वह ज्यादा कर शांत रहा करते थे। कहीं जाने से पहले वे तंबाकू अपने मुँह मे रखते और चुप्पी में वे गंभीर, गौरवशाली, आश्चर्यजनक और भारी-भरकम रहते थे। वह गाँव को ज्यादा पसंद करते थे शहर उन्हें अच्छा नहीं लगता था।

6. तिरिछ क्या है ? कहानी में यह किसका प्रतीक है?
उत्तर- तिरिछ एक विषेला जंतु है और कहानी मे जादुई यथार्थ का प्रतीक है।

7. ‘अगर तिरिख को देखो तो उससे कभी आँख मत मिलाओ। आँख मिलते ही वह आदमी की गंध पहचान लेता है और फिर पीछे लग जाता है। फिर तो आदमी चाहे पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा ले, तिरिछ पीछे-पीछे आता है। क्या यहाँ तिरिछ केवल जानवर भर है? यदि नहीं तो उससे आँख क्यों नहीं मिलाना चाहिए ?
उत्तर- इस पाठ में वर्णित तिरिछ एक विषेला जन्तु, अपितु मानव की हिंसात्मक पाशविक प्रवृत्तियाँ प्रतीत होती हैं। यद्यपि तिरिछ एक खतरनाक विषैला जानवर होता है जिसके काटने से मनुष्य की प्रायः मृत्यु हो जाती है। किन्तु मानव की हिंसक तथा दानवी गतिविधियाँ उससे अधिक, अत्यन्त घातक तथा मर्मान्तक (असा) पीड़ादायी होती हैं। उससे मनुष्य घुल-घुलकर मौत के मुँह में चला जाता है। कथाकार ने तिरिछ से आँख नहीं मिलाने का परामर्श दिया है, क्योंकि तिरिछ की प्रकृति है, परस्पर आँखें मिल जाने पर वह अपने शिकार पर आक्रमण कर देता है तथा अपने विषैले दाँत उसके शरीर में गड़ा देता है। यहाँ पर कहानीकार दुर्जन एवं तिरिछ के समान खतरनाक व्यक्तियों से आँखें नहीं मिलाने के लिए कहता है। इसका निहितार्थ यह है कि हमें ऐसे व्यक्तियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखना चाहिए तथा उनसे किसी प्रकार का पंगा भी नहीं लेना चाहिए। उनसे दूर ही रहना चाहिए। अवांछनीय व्यक्तियों से ना तो मित्रता अच्छी होती है और ना ही शत्रुता। उनसे आँखें मिलाना श्रेयस्कर नहीं।

8. तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आपको रोक नहीं पाता था। यहाँ परिचित आँखों से क्या आशय है?
उत्तर- तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आप को रोक नहीं पाते थे। यहाँ पर परिचित आँखों से तात्पर्य यह है कि लेखक रोज एक ही सपना देखते थे और इस वजह से उन्हें तिरिछ की आँखें परिचित लगने लगी थी और यह घटना सत्य होने वाली थी। यह एक संकेत था। अपने डर के कारण लेखक तिरिछ से अपनी आँखें मिलाने से रोक नहीं पाते थे।

9. व्याख्या करें-
(क) वैसे, धीरे-धीरे मैंने अनुभवों से यह जान लिया था कि आवाज ही ऐसे मौके पर मेरा सबसे बड़ा अस्त है।
उत्तर- लेखक हमेशा सपने देखकर डर जाया करते थे और वह नींद में होने के कारण सत्य और सपने में अंतर नहीं निकाल पाते थे लेकिन जब उनकी माँ या वह किसी आवाज के कारण जग जाते थे। उनका डर और उनका सपना टूट जाता था इसलिए वह आवाज को अपना सबसे बड़ा अस्ल मानते है।

(ख) जैसे जब मेरी फीस की बात आई थी, उस समय हमारे पास का आखिरी गिलास भी गुम हो गया था और सब लोग लोटे में पानी पीते थे।
उत्तर- लेखक काफी गरीब परिवार से थे और उनके पिताजी कोर्ट के चक्कर लगाया करते थे, जिसके कारण काफी पैसे अदालत में और वकीलों के फीस में खत्म हो जाते थे। जब लेखक को फीस के लिए पैसे की आवश्यकता होती है, तो वे अपने पिताजी से कहते हैं। 2 दिन चुप रहने के बाद उनके पिताजी उन्हें एक पत्र देकर किसी के पास भेजते हैं। जो उन्हें 100 के तीन नोट देता है।

(ग) आश्वर्य था कि इतने लंबे अर्से से उसके अड्डे को इतनी अच्छी तरह से जानने के बावजूद कभी दिन में आकर मैंने उसे मारने की कोई कोशिश नहीं की थी।
उत्तर- लेखक को अफसोस होता है कि उनके सपने में आए उस तिरीछ के काटने के कारण उनकी पिताजी की मृत्यु हो जाती है। वह सपना काफी समय से देख रहे होते हैं लेकिन उनमें इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह आकर इस तिरीछ को मारे, अगर वह पहले ही इसे मारने की कोशिश किए होते या उसे मार देते तो पिताजी के साथ वह घटना नहीं घटती और उनके पिताजी अभी जीवित होते हैं।

(घ) मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी फैसठी हुई साँसें फिर से ठीक हो जाती हैं कि उस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा।
उत्तर- लिखक जब शहर में पिताजी के साथ घटी घटना के बारे में सोचते हैं तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। जिस प्रकार उन्हें बताया जाता है कि पिताजी पूरे नशे में थे और उन पर काफी ज्यादा टेंशन था, अदालत जाने और भी कई सारी परेशानिया थी। नशे में होने के कारण जब उन लड़कों ने लेखक को के पिताजी को राड से मारा होगा तो उन्हें ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ होगा। उन्हें लग रहा होगा कि वह किसी सपने में है और यह सब एक बुरा सपना है जो नींद से उठते हैं ठीक हो जाएगा।

10. तिरिछ को जलाने गए लेखक को पूरा जंगल परिचित लगता है, क्यों ?
उत्तर- अपने सपने में लेखक ने कई बार इस जंगल को देख रखा था इसलिए जब वे तिरिछ को जलाने के लिए जंगल में जाते हैं तो उन्हें पूरा जंगल परिचित लगता है।

11. ‘इस घटना का संबंध पिताजी से है। मेरे सपने से है और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्मजात भय होता है, उससे भी है। यह भय क्यों है ?
उत्तर- लेखक के ऐसे कहने का अर्थ यह है कि शहर में लोग किसी की मदद नहीं किया करते हैं। वहाँ सभी अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं। सब कुछ जानते और देखते हुए भी समय ना रहने के कारण तथा अपने काम में व्यस्त रहने के कारण वे किसी की मदद नहीं करते हैं। लेखक ने इस कहानी में जो कुछ भी कहा है उसमें उनके पिताजी, उनका सपना और शहर तीनों शामिल है। तीनों आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए वे अपना भय प्रकट करते हुए पह सब कहते हैं।

12. कहानी में वर्णित शहर’ के चरित्र से आप कितना सहमत हैं?
उत्तर- कहानी में वर्णित शहर के चरित्र से हम पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि शहर में लोग अपने अपने काम में व्यस्त रहते हैं। लोगों के पास इतना समय नहीं होता है कि वह दूसरों की मदद करें या उन्हें थोड़ा समय दे। वहाँ कोई अच्छे से बात भी नहीं करता है। वहाँ के लोग किसी को मुफ्त में पानी तक नहीं देना चाहते हैं और ना ही किसी की इज्जत करते हैं।

13. लेखक के पिता के साथ एक दिक्कत यह भी थी कि गाँव या जंगल की पगडंडियों तो उन्हें याद रहती थी, शहर की सड़कों को वे भूल जाते थे। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? आप क्या सोचते हैं? लिखे ।
उत्तर- इसका कारण यह था कि लेखक के पिताजी शहर काफी कम जाया करते थे। आवश्यक काम होने पर ही वह शहर जाया करते थे। उन्हें शहर की गलियां और सड़क के एक समान लगती थी। वह उन रास्तों से वाकिफ नहीं थे और शहर में उन्हें कोई जानता भी नहीं था। गाँव या जंगल की पगडंडियों को याद रखने का कारण यह था कि वे जन्म से ही अपने गाँव में रहते थे और वहाँ के गली गली और चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। उन्हें वहाँ हर कोई पहचानता था। वे अपने गाँव के वातावरण से भी वाकिफ थे।

14. स्टेट बैंक के कैशियर अग्निहोत्री, नेपाली चौकीदार थापा, असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर मेहता, थाने के एस० एच० ओ० राघवेंद्र प्रताप सिंह के चरित्र का परिचय अपने शब्दों में दीजिए ।
उत्तर- स्टेट बैंक के कैशियर अग्निहोत्री, नेपाली चौकीदार थापा, असिस्टेंट ब्रांच मैनेजर मेहता, थाने के एस० एच० ओ० राघवेंद्र प्रताप सिंह यह सभी बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे। परंतु अपने काम में व्यस्त होने के कारण उन्होंने लेखक के पिताजी को सही से पहचाना नहीं और समय ना होने के कारण, उनकी मदद भी नहीं कर पाए। यह सभी एक अच्छे पोस्ट पर थे।

15. लेखक के पिता अपना परिचय हमेशा राम स्वारथ प्रसाद एक्स स्कूल हेडमास्टर…….. एंड विलेज हेड ऑफ बकेली’ के रूप में देते थे, ऐसा क्यों? स्कूल और गाँव के बिना वे अपना परिचय क्यों नहीं देते ?
उत्तर- लेखक के पिता अपना परिचय हमेशा राम स्वारथ प्रसाद एक्स स्कूल हेडमास्टर एंड विलेज हेड ऑफ बकेली के रूप में देते थे, क्योंकि लेखक के पिताजी को अपने गाँव से बहुत लगाव था और वह एक हेड मास्टर थे इसलिए उन्हें उनके गाँव में सब स्कूल हेड मास्टर के रूप में ही जानते थे इसलिए वह अपना परिचय इसी रूप में दिया करते थे।

16. हालाँकि धानू कहता है कि अब तो यह तय हो गया कि तिरिछ के जहर से कोई नहीं बच सकता। ठीक चौबीस घंटे बाद उसने अपना करिश्मा दिखाया और पिताजी की मृत्यु हई। इस अवतरण का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर- लेखक के पिताजी की मृत्यु तिरिछ के काटने के 24 घंटे बाद हुई थी और ऐसा कहा जाता है कि एक बार तिरिछ जिससे काट लेता है उसका बचना नामुमकिन हो जाता है। अगर वह बच भी जाता है तो 24 घंटे बाद उसके शरीर में तिरिछ का जहर चढ़ता है और उससे उस इंसान की मृत्यु हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ था लेखक के पिताजी के साथ संजोग वश उनकी भी मृत्यु तेरे काटने के 24 घंटे बाद ही हुई थी।

17. लेखक को अब तिरिछ का सपना नहीं आता, क्यों ?
उत्तर-लेखक उदय प्रकाश को अब तिरिछ का सपना नहीं आने क्योंकि लेखक जो सपना सत्य देखते थे वो उनके भविष्य में घटने वाली घटना का संकेत देता था और वह घटना घटने के बाद उन्हें सपना आना बंद हो गया क्योंकि वह घटना घट चुकी थी।

 

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