Bihar Board 12th Hindi Chapter- 6 Objective And Subjective Question 2025: एक लेख और एक पत्र ऑब्जेक्टिव प्रश्न और प्रश्न उत्तर , (सीधें परीक्षा में लड़ेगा), @Officialbseb.com

Bihar Board 12th Hindi Chapter- 6 Objective And Subjective Question 2025

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Bihar Board 12th Hindi Chapter- 6 Objective And Subjective Question 2025

एक लेख और एक पत्र का Objective 

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1. “एक लेख और एक पत्र’ के रचनाकार कौन है ?
(A) नामवर सिंह
(B) मोहन राकेश
(C) भगत सिंह
(D) रामधारी सिंह दिनकर
Answer ⇒ (C)

2. भगत सिंह के पिता सरदार किशन सिंह तथा. चाचा अजीत सिंह किसके सहयोगी थे ?
(A) बाल गंगाधर तिलक’
(B) लाला लाजपत राय
(C) विपिन चन्द्र पाल
(D) इनमें किसी के नहीं
Answer ⇒ (B)

3. भगत सिंह ने अपने नेतृत्व में पंजाब में ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन कब किया ?
(A) 1923 ई० में
(B) 1924 ई० में
(C) 1925 ई० में
(D) 1926 ई० मे
Answer ⇒ (D)

4. भगत सिंह ने चन्द्रशेखर आजाद’ के साथ मिलकर किस संघ का गठन किया ?
(A) स्वराज्य पार्टी
(B) स्वतंत्र पार्टी
(C) हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक पार्टी
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)

5. भगत सिंह किस उम्र में क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए ?
(A) 10 वर्ष
(B) 12 वर्ष
(C) 15 वर्ष
(D) 20 वर्ष
Answer ⇒ (B)

6. भगत सिंह के हृदय में किस भावना का कोई स्थान नहीं था ?
(A) लोभ
(B) प्रेम
(C) क्रोध
(D) अहंकार
Answer ⇒ (B)

7. भगत सिंह किसे घृणित तथा कायरतापूर्ण मानते थे ?
(A) देश की सेवा
(B) देश से भागना
(C) आत्महत्या
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)

8. सन् 1926 में भगत सिंह ने किस दल का गठन किया ?
(A) नवयुवक संघ
(B) नौजवान भारत सभा
(C) नवयुवक भारत सभा
(D) नौजवान दल
Answer ⇒ (B)

9. भगत सिंह ने अपने लिए सजा के सम्बन्ध में क्या विश्वास था ?
(A) क्षमा का
(B) नम्र व्यवहार का
(C) मृत्युदण्ड का
(D) आजीवन कारावास का
Answer ⇒ (C)

10. प्रिंस क्रोमोटकिन कौन था ?
(A) अर्थशास्त्र का विद्वान
(B) राजनीतिशास्त्र का विद्वान
(C) समाजशास्त्र का विद्वान
(D) इतिहास का विद्वान
Answer ⇒ (A)

11. भगत सिंहको फाँसी दी गई –
(A) 23 मार्च 1931 को
(B) 24 मार्च 1931 को
(C) 25 मार्च 1932 को
(D) 22 मार्च 1931 को
Answer ⇒ (A)

12. एक लेख और एक पत्र के रचनाकार है:-
(A) भगत सिंह
(B) सुखदेव
(C) राजगृह
(D) चन्द्रशेखर आजाद
Answer ⇒ (A)

13. चौराचौरी कांड कब हुआ था ?
(A) 1921 में
(B) 1922 में
(C) 1924 में
(D) 1920 में
Answer ⇒ (B)

14. ‘प्रताप’ के संस्थापक संपादक कौन थे ?
(A) गणेश शंकर विद्यार्थी
(B) माखनलाल चतुर्वेदी
(C) बालकृष्ण भट्ट
(D) भारतेंदु हरिश्चन्द्र
Answer ⇒ (A)

15. भगत सिंह का जन्म कब हुआ था ?
(A) 28 सितंबर 1907 को
(B) 22 अक्टूबर 1908 को
(C) 23 मार्च 1910 को
(D) 27 सितंबर 1909 को
Answer ⇒ (A)

16. भगत सिंह को काँग्रेस तथा महात्मा गाँधी से मोहभंग कब हुआ ?
(A) 1920 ई० में
(B) 1921 ई० में
(C) 1922 ई० में
(D) 1923 ई० में
Answer ⇒ (B)

17. 1914 ई० में भगत सिंह किस पार्टी की ओर आकर्षित हुए ?
(A) नेशनल पार्टी
(B) राष्ट्रवादी पार्टी
(C) स्वतंत्र पार्टी
(D) गदर पार्टी
Answer ⇒ (D)

18. चौरीचौरा कांड कब हुआ ?
(A) 1920 ई० में
(B) 1921 ई० में
(C) 1922 ई० में
(D) 1924 ई० में
Answer ⇒ (C)

19. कौन-सा निबन्ध भगत सिंह का लिखा हुआ नहीं है ?
(A) बम का दर्शन
(B) युवक
(C) परिवेश
(D) विद्यार्थी और राजनीति
Answer ⇒ (C)

20. भगत सिंह| गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा निकाली जानेवाली किस पत्रिका से जुड़े ?
(A) प्रताप
(B) दिनमान
(C) संघर्ष
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)

21. भगत सिंह के.चाचा का नाम था ?
(A) सुप्रीत सिंह
(B) अजीत सिंह
(C) गुरप्रीत सिंह
(D) रणजीत सिंह
Answer ⇒ (B)

22. “विद्यार्थी और राजनीति’ शीर्षक निबंध किसका लिखा हुआ है ?
(A) रामचंद्र शुक्ल
(B)गुलाब राय
(C) भगत सिंह
(D) दिनकर
Answer ⇒ (C)

23. “मतवाला’ पत्रिका कहाँ से निकलती थी ?
(A) कानपुर
(B) पटना
(C) वाराणसी
(D) कलकत्ता (कोलकाता)
Answer ⇒ (D)

24. भगत सिंह प्रभावित| थे –
(A) महात्मा गाँधी से
(B) कार्ल मार्क्स से
(C) फ्रायड से
(D) एडलर से
Answer ⇒ (B)

25. ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ यह किसका लेख है ?
(A) भगत सिंह का”
(B) चंद्रशेखर आजाद का
(C) सुखदेव का
(D) खुदीराम बोस का
Answer ⇒ (A)

26. ‘बंदी जीवन’ किसकी कृति है ?
(A)रवींद्रनाथ ठाकुर को
(B)माईकेल मधुसूदन की
(C) शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की
(D) शचींद्रनाथ सान्याल की
Answer ⇒ (D)

27. भगत सिंह की शहादत कब हुई थी ?
(A) 23 मार्च 1931 को
(B) 23 मार्च 1933 को
(C) 23 मार्च 1932 को
(D) 24 मार्च 1934 को
Answer ⇒ (A)

28. भगत सिंह ने किसको पत्र लिखा था ?
(A) बापू को
(B) नेहरू को
(C) सुखदेव को
(D) राजगुरू को
Answer ⇒ (C)

29. कुलबीर सिंह और कुलतार सिंह भगत सिंह के कौन थे ?
(A) चाचा
(B) मामा
(C) भाई
(D) भतीजा
Answer ⇒ (C)

30. गणेश शंकर विद्यार्थी किस पत्र का संपादन करते थे ?
(A) मर्यादा
(B) ब्राह्मण
(C) कर्मवीर
(D) प्रताप
Answer ⇒ (D)

एक लेख और एक पत्र का  Subjective
गद्य-6 एक लेख और एक पत्र

प्रश्न 1. भगत सिंह कौन था? [Sc. & Com. 2019A)
उत्तर- सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 ई. में बंगाक्चक (वर्तमान में पाकिस्तान) गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम विद्यावती एवं पिता सरदार किसन सिंह थे। उनके सम्पूर्ण परिवार में स्वतंत्रता सेनानी थे। प्राथमिक शिक्षा गाँव बंगा में हुई। फिर लाहौर के डी० ए० वी० स्कूल से वर्ग नौ तक की पढ़ाई की। बाद में नेशनल कॉलेज लाहौर से एफ. ए. किया। बी० ए० के दौरान पढ़ाई छोड़ दी और क्रांतिकारी दल में शामिल हो गये।

प्रश्न 2. भगत सिंह के अनुसार देश को कैसे युवकों की आवश्यकता है? [Sc. & Com. 2018A]
उत्तर- भगत सिंह के अनुसार देश को जुझारू, कर्मठ एवं बलिदानी युवकों की आवश्यकता है, जो देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दे।

प्रश्न 3. विद्यार्थी को राजनीति में भाग क्यों लेना चाहिए? [Sc. & Com. 2016C, 2013A, 2012A; Arts 2012AJ
उत्तर- विद्यार्थी देश के कर्णधार होते हैं। आनेवाले काल में उन्हें देश की बागडोर अपने हाथ में लेनी है। उन्हें देश की समस्याओं और सुधार में हिस्सा लेना है। अतः, देश के विकास के लिए विद्यार्थी को राजनीति में भाग लेना चाहिए क्योंकि सत्ता राजनीतिकों के हाथ में होती है। छात्र जीवन में विद्यार्थी को पढाई के साथ-साथ अन्य सामाजिक कार्य भी देखने हैं। भगत सिंह मानते हैं कि नौजवान ” वह चढ़ सकता है उन्नति की सर्वोच्च शिखर पर, वह गिर सकता है अर्द्ध-पतन के अंधेरे खंदक में” विद्यार्थियों के हाथ में हैं पतितों के उत्थान । वे ही क्रांति का संदेश देश के कोने-कोने में पहुँचा सकते हैं। फैक्ट्री, कारखाना, गंदी बस्तियों और गाँवों की जर्जर झोपड़ियों रहने वालों के बीच क्रांति की अलख जगा सकते है जिससे आजादी आएगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असंभव होगा। छात्रों में देश की समझदारी और समस्याओं में सुधार की योग्यता, होना बेहद जरूरी है और जो शिक्षा ऐसी नहीं कर सकती है वह निकम्मी शिक्षा है जो केवल क्लर्क पैदा कर सकती है। हम सभी जानते हैं कि हिन्दुस्तान को ऐसे सेवकों की जरूरत है जो तन, मन और धन देश पर अर्पित कर दे और पागलों की तरह पूरी उम्र देश सेवा में बिता दे। ये वही विद्यार्थी या नौजवान कर सकते हैं और पागलों की तरह पूरी उम्र देश सेवा में बिता दे। ये वही विद्यार्थी या नौजवान कर सकते हैं जो किन्हीं जंजालों में न फँसे हों। जंजालों में पड़ने से पहले विद्यार्थी तभी सोच सकते हैं यदि उन्होंने कुछ व्यावहारिक ज्ञान भी हासिल किया हो। यह व्यवहारिक ज्ञान ही राजनीति है। अतः, विद्यार्थी पढ़े मगर साथ ही राजनीति का ज्ञान भी हासिल . करे। देश को सही दिशा देने के लिए विद्यार्थी को राजनीति का पाठ जरूर पढ़ना चाहिए।

प्रश्न 4. भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुन्दर कहा है? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं, इस संबंध में उनके विचारों को स्पष्ट करें। (Sc. & Com. 20114, 20094 /
अथवा, भगत सिंह के अनुसार किस प्रकार की मृत्यु ‘सुंदर’ है? [Arts 2011AJ
उत्तर- भगत सिंह को देश सेवा के बदले दी गई फाँसी (मृत्युदंड) को सुन्दर मृत्यु कहा है। भगत सिंह इस संदर्भ में कहते हैं कि जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूर्णतया भुला देनी चाहिए। इसी दृढ़ इच्छा के साथ हमारी मुक्ति का प्रस्ताव सम्मिलित रूप में और विश्वव्यापी हो और उसके साथ ही जब यह आंदोलन अपनी चरम सीमा पर पहुँचे तो हमें फाँसी दे दी जाय। यह मृत्यु भगत सिंह के लिए सुन्दर होगी जिसमें हमारे देश का कल्याण होगा। शोषक यहाँ से चले जायेंगे और हम अपना कार्य स्वयं करेंगे। इसी के साथ व्यापक समाजवाद की कल्पना भी करते हैं जिसमें हमारी मृत्यु बेकार न जाय। अर्थात् संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है। भगत सिंह आत्महत्या को कायरता कहते हैं, क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करेगा वह थोड़ा दुःख, कष्ट सहने के चलते करेगा। वह अपना समस्त मूल्य एक ही क्षण में खो देगा। इस संदर्भ में उनका विचार है। कि मेरे जैसे विश्वास और विचारों वाला व्यक्ति व्यर्थ में मरना कदापि सहन नहीं कर सकता। हम तो अपने जीवन का अधिक-से-अधिक मूल्य प्राप्त करना चाहते हैं। हम मानवता की अधिक-से-अधिक सेवा करना चाहते हैं। संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है। प्रयत्नशील होना एवं श्रेष्ठ और उत्कृष्ट आदर्श के लिए जीवन दे देना कदापि आत्महत्या नहीं कही जा सकती। ‘आत्महत्या को कायरता इसलिए कहते हैं कि केवल कुछ दुखों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं। इस संदर्भ में वे एक विचार भी देते हैं कि विपत्तियाँ व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती हैं।

प्रश्न 5. विद्यार्थियों से भगत सिंह की अपेक्षा क्या था? ISc. & Com. 2010A/
अथवा, भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्य अपेक्षाएं हैं? Arts 20134/
उत्तर- भगत सिंह कहते हैं कि हिन्दुस्तान को ऐसे देशसेवकों की जरूरत है जो तन-मन-धन देश पर अर्पित कर दें और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी के लिए या देश के विकास में न्योछावर कर दे। यह कार्य सिर्फ विद्यार्थी ही कर सकते हैं। सभी देश को आजाद करने वाले वहाँ के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते हैं। वे ही क्रांति कर सकते हैं। अतः विद्यार्थी पढ़े, जरूर पढ़े। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करे और जब जरूरत हो तो मैदान में कूद पड़े और अपना जीवन इसी काम में लगा दे। अपने प्राणों को इसी में उत्सर्ग कर दे। यही अपेक्षाएँ हैं विद्यार्थियों से भगत सिंह की।

प्रश्न 6. भगत सिंह ने अपनी फाँसी के लिए किस समय की इच्छा व्यक्त की है?[Arts 20204]
उत्तर- भगत सिंह को यह पूर्ण विश्वास था कि उन्हें फाँसी की सजा अवश्य सुनाई जाएगी। उन्हें अंग्रेजी सत्ताधारियों से किसी भी प्रकार की क्षमा की आशा नहीं थी। भगत सिंह चाहते थे कि लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में बन्दीगृहों में बन्दी बनाए गए देश के दीवानों की मुक्ति का प्रस्ताव सम्मिलित रूप में और विश्वव्यापी हो। और जब स्वतंत्रता का आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर हो, तब उन्हें फाँसी दी जाए।

7. विद्यार्थियों को राजनीति में भाग क्यों लेना चाहिए?
उत्तर- भगत सिंह का जो समय था, उस समय देश गुलाम था। उन्होंने कहा कि कल के समय में देश की भगडोर युवाओं के हाथ में होगी। देश का भविष्य छात्र ही होते है, अगर उनको राजनीति का शान नहीं रहेगा तो, वो कैसे देश की स्थितियों को संभालेंगे? भगत सिंह का कहना था कि इस देश को ऐसे युवा की आवश्यकता है। छात्रों में एक नई ऊर्जा होती है. नई सोच होती है तथा नई ऊर्जा और सोच के साथ देश को आगे बढ़ना चाहिए। यह छात्र ही कर सकते हैं।

8. भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर- भगत सिंह जी की विद्यार्थियों से बहुत-सी अपेक्षाएँ हैं। वे चाहते हैं कि, विद्यार्थी राजनीति तथा देश मे क्या हो रहा है, देश की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त करें और उनके सुधार के उपाय सोचे तथा उसमे अपना सहयोग करे। वे देश की सेवा में तन-मन-धन से जुट जाएँ और अपने प्राण न्योछावर करने से भी पीछे न हटें।

9. भगत सिंह के अनुसार ‘केवल कष्ट सहकर भी देश की सेवा की जा सकती है?’ उनके जीवन के आधार पर इसे प्रमाणित करें।
उत्तर- भगत सिंह के अनुसार ये सही है की कष्ट सहकर भी देश की सेवा की जा सकती है। देश की गुलामी की स्थिति भगत सिंह को बहुत ज्यादा बेचैन करती थी। वे कन्तिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिए, लोगों को जागरूक करने के लिए लेख लिखे, संगठन बनाये तथा एक सक्रीय कार्यकर्ता के रूप में जेल भी गए। ऐसे देश भक्त को आज फिर से सलामी देते है, जो हँसते-हँसते फांसी के फंदे पर झूल गये। उनकी यह कुर्बानी भारतीयों को झकझोर दिया और आगे चलकर देश आजाद हुआ।

10. भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुंदर कहा है? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं. इस संबंध में उनके विचारों को स्पष्ट करें।
उत्तर- भगत सिंह ने कहा की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए मृत्युदंड के रूप में मिलने वाली मृत्यु से सुंदर कोई मृत्यु नहीं हो सकती क्योकि उनकी मृत्यु आगे आने वाली पीढ़ी में आजादी के संघर्ष के लिए एक जुनून पैदा करेगी। वे अपने कष्टों और दुखों के चलते आत्महत्या करने वालों को कायर मानते है। वे सुखदेव को पत्र के माध्यम से बताते है कि विपत्तियाँ तो व्यक्ति को पूर्ण बनाती है। उनसे बचने के लिए आत्महत्या करना बहुत बड़ी कायरता है।

11. भगत सिंह रूसी साहित्य को इतना महत्त्वपूर्ण क्यों मानते हैं? वे एक क्रांतिकारी से क्या अपेक्षाएँ रखते हैं
उत्तर- भगत सिंह रुसी साहित्य को इतना महत्वपूर्ण इसलिए मानते है क्योकि उस साहित्य में जीवन की वास्तविकता का चित्रण मिलता है। उनकी कहानियों में कष्टमष्ट एप पढ़ने वालो के मन में एक विशेष आत्मबल पैदा करता है। भगत सिंह ये मानते है की इसी तरह भारत में भी कांतिकारियों के मन में आत्मबल पैदा करना जरुरी है। एक क्रांतिकारी से पह अपेक्षा की जाती है कि वह दुःख और कष्ट को सहने के लिए हमेसा तत्पर रहे, क्योकि क्रान्ति के शुरू होते ही मुश्किलें भी शुरू हो जाती है।

12. ‘उन्हें चाहिए कि वे उन विधियों का उल्लंघन करें परंतु उन्हें औचित्य का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अनावश्यक एवं अनुचित प्रयत्न कभी भी न्यायपूर्ण नहीं माना जा सकता। भगत सिंह के इस कथन का आशय बतलाएँ। इससे उनके चिंतन का कौन सा पक्ष उभरता है, वर्णन करें।
उत्तर- सरदार भगत सिंह क्रांतिकारियों से कहते हैं कि शासक यदि शोषक हो, कानून व्यवस्था यदि गरीब-विरोधी, मानवता विरोधी हो तो उन्हें चाहिए कि वे उसका विरोध करें, परन्तु इस बात का भी ख्याल करें कि आम जनता पर इसका कोई असर न हो, वह कांति आवश्यक हो अनुचित नहीं। क्रांति आवश्यकता के लिए हो तो उसे न्यायपूर्ण माना जाता है परन्तु सिर्फ बदले की भावना से की गई क्रांति अन्यायपूर्ण है। इस संदर्भ में रूस की शासन का हवाला देते हुए कहते हैं कि रूस में बंदियों को बंदीगृहों में विपत्तियाँ सहन करना ही शासन का तख्ता पलटने के पश्चात् उनके द्वारा जेलों के प्रबंध में क्रान्ति लाए जाने का सबसे बड़ा कारण था। विरोध करो परन्तु तरीका उचित होना चाहिए, न्यायपूर्ण होना चाहिए। इसह ष्टि से देखा जाय तो भगत सिंह का चिन्तन मानवतावादी है जिसमें समस्त मानव जाति का कल्याण निहित है। यदि मानवता पर तनिक भी प्रहार हो, उन्हें पूरी लगन के साथ वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष आरंभ कर देना चाहिए।

13. निम्नलिखित कथनों का अभिप्राय स्पष्ट करें-
(क) मैं आपको बताना चाहता हूँ कि विपत्तियाँ व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती हैं।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति भगत सिंह द्वारा रचित पाठ एक लेख और एक पत्र से ली गई है। भगत सिंह, सुखदेव को पत्र लिखते है कि विपत्तियाँ मनुष्य को उनका सामना करने के लिए प्रेरित करती है। मनुष्य उन विपत्तियों को दूर करने के लिए उपाय सोचने लगता है। यदि खुले दिल से सोचने लगता है तो वह अपने साथ-साथ दुसरे को भी इस विपत्तियों से निपटने के लिए प्रेरित करता है और विपतीयाँ उसके व्यक्तित्व को पूर्णता की ओर ले जाती है।

(ख) हम तो केवल अपने समय की आवश्यकता की उपज हैं।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति भगत सिंह द्वारा रचित पाठ एक लेख और एक पत्र से ली गई है। भगत सिंह का मानना है कि देश की सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियाँ ही उस देश की राजनितिक परिस्थितियों को जन्म देती है। जिस समय में देश की सामाजिक. आर्थिक परिस्थिति शोषक प्रवृति की होगी, उसमे राजनितिक उथल-पुथल होता रहेगा, और शोषण के दमन चक्रों के खिलाफ संघर्ष होते रहेंगे, और हम जैसे कन्तिकारी जन्म लेते रहेंगे।

(ग) मनुष्य को अपने विश्वासों पर इत्तापूर्वक अडिग रहने का प्रयत्न करना चाहिए।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति भगत सिंह द्वारा रचित पाठ एक लेख और एक पत्र से ली गई है। भगत सिंह कहते है कि मनुष्य को अपने विश्वासों पर संदेह नहीं करना चाहिए तथा इत्तापूर्वक अडिग होकर लगातार प्रयास करना चाहिए। वे कहते है कि जब वे देश की आजादी के लिए अपना कार्य करते थे। तो उस समय नाना प्रकार की कठिनाइयों सामने आया करती थी और अगर हम उस कठिनाइयों से डरकर अपना कार्य करना बंद कर दे. तो ये मानव का शरीर हमारे लिए व्यर्थ है। हमे अपने विश्वासों पर दत्तापूर्वक अडिग होकर लगातार प्रयास करना चाहिए।

14. ‘जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूर्णतया भुला देना बाहिए। आज जब देगा आजाद है, भगत सिंह के इस विचार का आप किस तरह मूल्यांकन करेंगे। अपना पक्ष प्रस्तुत करें।
उत्तर- वीर क्रांतिकारी, भारत माता के सपूत भगत सिंह देश की आजादी के लिए जंग लड़े थे। जब वे अपने साथी सुखदेव को पत्र लिखते है तो कहते है कि मुझे इस जंग के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा निश्क्षय ही मृत्युदंड दी जायेगी। मुझे किसी प्रकार की पूर्ण क्षमा या विनम्र व्यवहार की तनिक भी आशा नहीं है। वे कहते है कि मेरी अभिलाषा यह है कि जब यह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर पहुंचे तो हमे फांसी दे दी जाये. साथ ही साथ कहते है कि मेरी यह भी इच्छा है कि यदि कोई सम्मानपूर्ण और उचित समझौता होना कभी संभव हो जाये, तो हमारे जैसे व्यक्तियों का मामला उसके मार्ग र्ग में कोई रुकावट या कठिनाई उत्पन्न करने का कारण न बने क्योकि जब देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूर्णतया भुला देना चाहिए।

15.. भगत सिंह ने अपनी फाँसी के लिए किस समय की इच्छा व्यक्त की है? वे ऐसा समय क्यों चुनते हैं?
उत्तर- भगत सिंह ने इच्छा व्यक्त की है कि जब देश की आजादी की लड़ाई अपने चरम सीमा पर हो, तभी उन्हें फांसी दी जाए। क्योकि लड़ाई के चरम पर आन्दोलनकारी दल भावनात्मक रूप से बेहद संवेदनशीत होते है। यदि ऐसे समय पर उन्हें फांसी दी जाएगी तो आन्दोलनकारी दल की भावनात्मक एकता में बल आएगा और आने वाले समय में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध करने में हिम्मत देगी।

 

 

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