Bihar Board 10th History Chapter-1 Subjective Question 2025: HISTORY CHAPTER- 01 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय, सब्जेक्टिव क्वेश्चन 2025, @officialbseb.com
Bihar Board 10th History Chapter-1 Subjective Question 2025:
1. यूरोप में राष्ट्रवाद
प्रश्न 1. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ? [20224, 20204, 2019C, 2014C, 2013C]
उत्तर-1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण थे-
(i) मध्यम वर्ग का शासन पर प्रभाव ।
(ii) राजनीतिक दलों में संगठन का अभाव ।
(iii) समाजवाद का प्रसार ।
(iv) लुई फिलिप की नीति की असफलता ।
इस क्रांति का सबसे प्रमुख कारण लुई फिलिप की नीति और जनता में उसके प्रति असंतोष था। वह जनता की तत्कालीन समस्याओं को सुलझाने में असमर्थ रहा जिसके कारण क्रांति का सूत्रपात हुआ ।
प्रश्न 2. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं [20224]
उत्तर-जर्मनी के एकीकरण में निम्नलिखित प्रमुख बाधाएँ थीं-
(1) लगभग 300 छोटे-छोटे राज्य ।
(ii) इन राज्यों में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक विषमताएँ ।
( iii) राष्ट्रवाद की भावना का अभाव ।
(iv) ऑस्ट्रिया का हस्तक्षेप ।
(v) मेटरनिक की प्रतिक्रियावादी नीति ।
प्रश्न 3. वियना काँग्रेस की दो उपलब्धियाँ बताइए [2021A]
उत्तर-वियना सम्मेलन की मुख्य उपलब्धियाँ थीं-नेपोलियन द्वारा पराजित राजवंशों की पुनर्स्थापना का प्रयास किया गया। फ्रांस और स्पेन में बूर्बो राजवंश को फिर स्थापित किया गया। फ्रांस में लुई 18वाँ को राजगद्दी सौंपी गयी। इटली में ऑस्ट्रियाई राजपरिवार को सत्ता सौंपी गयी। नेपोलियन द्वारा स्थापित 39 राज्यों के जर्मन महासंघ को भंग नहीं किया गया। इस प्रकार वियना व्यवस्था द्वारा यूरोप में राजनीतिक परिवर्तन कर पुरानी सत्ता को बहाल किया गया।
प्रश्न 4. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ? [2020A, 2015C, 2013A, 2012C]
उत्तर इटली, जर्मनी का एकीकरण ऑस्ट्रिया की शर्त पर हुआ क्योंकि इटली एवं जर्मनी के प्रांतों पर ऑस्ट्रिया का आधिपत्य तथा हस्तक्षेप था, ऑस्ट्रिया को इटली और जर्मनी से बाहर करके ही दोनों का एकीकरण संभव था। दोनों राष्ट्रों ने ऑस्ट्रिया को बाहर निकालने के लिए विदेशी सहायता ली।
प्रश्न 5. मेजिनी कौन था ?(2019A)
उत्तर-युवा इटली संगठन का संस्थापक मेजिनी इटली में राष्ट्रवादियों के गुप्त दल ‘कार्बोनरी’ का सदस्य था। वह सेनापति होने के साथ-साथ, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक तथा साहित्यकार भी था। 1830 ई० में – नागरिक आन्दोलनों द्वारा उसने उत्तरी और मध्य इटली में एकीकृत गणराज्य स्थापित करने का प्रयास किया किन्तु असफल रहने पर उसे इटली से पलायन करना पड़ा। 1845 ई० में मेटरनिक की पराजय के बाद मेजिनी पुनः इटली आकर इटली के एकीकरण का प्रयास किया। किन्तु इस बार भी वह असफल रहा और उसे पलायन करना पड़ा। मेजिनी को इटली के राष्ट्रीय आन्दोलन का मसीहा कहा जाता है।
प्रश्न 6. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें। [2016A, 2014A]
उत्तर-ज्यूसप गैरीबाल्डी का जन्म 1807 में नीस नामक नगर में हुआ था। वह पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था परन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया। गैरीबाल्डी ने सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रांतों का एकीकरण कर वहाँ गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। गैरीबाल्डी ने सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया। इन प्रांतों की अधिकांश जनता बूबों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गई थी। गैरीबाल्डी ने यहाँ विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता सँभाली। गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान का काबूर ने भी समर्थन किया। 1862 ई० में गैरीबाल्डी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई। काबूर ने गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पिडमाउंट की सेना भेज दी। अभियान के बीच में ही गैरीबाल्डी की काबूर से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं खत्म हो गया। दक्षिणी इटली के जीते गये क्षेत्रों को गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। गैरीबाल्डी अपनी सारी सम्पत्ति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान का जीवन जीने लगा। जिस त्याग, देशभक्ति और वीरता का परिचय उसने दिया ऐसे उदाहरण संसार के इतिहास में बहुत कम मिलते हैं। गैरीबाल्डी के इस चरित्र का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर बहुत प्रभाव पड़ा। स्वयं लाला लाजपत राय ने गैरीबाल्डी की जीवनी लिखी है।
प्रश्न 7. इटली के एकीकरण में मेजिनी का क्या योगदान था ? [2015A, M. Q., Set-III: 2015, 2011A]
उत्तर- मेजिनी दार्शनिक, साहित्यकार, राजनेता के साथ-साथ लोकतांत्रिक विचारों का समर्थक और कुशल सेनापति था। राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित होकर ही उसने गुप्त क्रांतिकारी संगठन का कार्बोनारी की सदस्यता ग्रहण की थी। मेटरनिक युग के पतन के बाद इटली में मेजिनी का प्रादुर्भाव हुआ। अपने गणतंत्रवादी उद्देश्यों के प्रचार के लिए मेजिनी ने 1831 ई० में मार्सेई में ‘यंग इटली’ की स्थापना की। इसका सदस्य उसने युवाओं को बनाया। ‘यंग इटली’ का एकमात्र उद्देश्य इटली को ऑस्ट्रिया के प्रभाव से मुक्त कर उसका एकीकरण करना था। उसने जनता-जनार्दन तथा इटली का नारा बुलंद किया। उग्र राष्ट्रवादी विचारों के कारण मेजिनी को निर्वासित होकर इंगलैंड जाना पड़ा। वहाँ से भी उसने अपनी रचनाओं द्वारा इटली के स्वाधीनता संग्राम को प्रेरित करना चाहा। मेजिनी को इटली के ‘एकीकरण का पैगम्बर’ कहा जाता है।
प्रश्न 8. यूरोपीय इतिहास में ‘घेटो’ का क्या अर्थ है [2015A]
उत्तर ‘घेटो’ शब्द का व्यवहार मूलतः मध्यकालीन यूरोपीय शहरों में यहूदियों की बस्ती के लिए किया गया। परन्तु वर्तमान संदर्भ में यह विशेष धर्म, प्रजाति, जाति या सामान्य पहचान वाले लोगों के एकसाथ रहनेवाले स्थान को इंगित करता है।
प्रश्न 9. मेटरनिक युग क्या है ? [M. Q., Set-IV: 2011]
उत्तर-आस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिक के 1815 से 1848 ई० तक के काल को मेटरनिक युग कहते हैं। मेटरनिक निरंकुश राजतंत्र में विश्वास रखता था और क्रांति का घोर विरोधी था। वह क्रांति का कट्टर शत्रु तथा क्रांति-विरोधी भावनाओं का समर्थक था। वह राजा के दैवी अधिकार में विश्वास रखता था ।
प्रश्न 10. राष्ट्रवाद क्या है ? [M. Q., Set-III: 2011]
उत्तर-राष्ट्रवाद किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहनेवाले लोगों के बीच व्याप्त एक भावना है जो उनमें परस्पर प्रेम और एकता को स्थापित करती है। यह भावना आधुनिक विश्व में राजनीतिक पुनर्जागरण का परिणाम है।
प्रश्न 11. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ? [M. Q., Set-II: 2011]
उत्तर- नेपोलियन के समय इटली और जर्मनी मात्र एक ‘भौगोलिक अभिव्यक्ति’ थे । नेपोलियन ने अनजाने में (अप्रत्यक्ष रूप से) इटली एवं जर्मनी के छोटे-छोटे विभाजित प्रांतों का एकीकरण कर दिया था। दोनों राज्यों को एक संगठित राजनीतिक रूप देने का प्रयास किया। दोनों देशों में राष्ट्रीयता की भावनाओं को जागृत किया । नेपोलियन ने समानता एवं भ्रातृत्व पर आधारित नवीन समाज का निर्माण इन देशों में कर दिया। इस दृष्टिकोण से हम नेपोलियन को क्रांति का वास्तविक अग्रदूत कह सकते हैं जिसने यूरोप के दो राष्ट्रों को संगठित होने के लिए प्रेरणा दी।
प्रश्न 12. शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं ? [M.Q., Set-1:2011]
उत्तर द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् पूँजीवादी राष्ट्र अमेरिका एवं साम्यवादी राष्ट्र रूस के बीच प्रत्यक्ष रूप से युद्ध न होकर वाक्द्वन्द्व के द्वारा एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते थे। प्रत्यक्ष युद्ध कभी भी हो सकता था।
प्रश्न 13. फ्रांस की जुलाई 1830 की क्रान्ति का फ्रांस की शासन-व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ? [M. Q., Set-1: 2011]
उत्तर-चार्ल्स-X के प्रतिक्रियावादी शासन का अंत हो गया। बूर्बो वंश के स्थान पर आर्लेयंस वंश को सत्ता सौंपी गयी। इस वंश के शासक ने उदारवादियों तथा पत्रकारों के समर्थन से सत्ता हासिल की। अतः, उसने इन्हें तरजीह दिया ।
प्रश्न 14. 1830 ई० की क्रांति के प्रभाव का वर्णन करें।[M. Q., Set-1: 2011]
उत्तर-1830 की क्रांति का प्रभाव-
(1) 1830 ई० की क्रांति का प्रभाव यह रहा कि इसने देश में कट्टर राजसत्तावादियों के प्रभाव को कम कर दिया।
(ii) इस क्रांति ने फ्रांसीसी क्रांति के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया तथा वियना काँग्रेस के उद्देश्यों को निरर्थक सिद्ध किया।
(iii) इसका प्रभाव संपूर्ण यूरोप पर पड़ा। सभी यूरोपीय राष्ट्रों में राजनीतिक एकीकरण, संवैधानिक सुधारों तथा राष्ट्रवाद के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ ।
(iv) इटली तथा जर्मनी का एकीकरण तथा यूनान, पोलैण्ड एवं हंगरी में तत्कालीन व्यवस्था के प्रति राष्ट्रीयता के प्रभाव के कारण आंदोलन शुरू हुआ ।
प्रश्न 15. विलियम-1 के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था, कैसे ? [TBQ]
उत्तर-विलियम-1 जानता था कि जर्मनी के एकीकरण के मार्ग में ऑस्ट्रिया बाधक है तथा इसे हटाये बिना जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं है। अतः, ऑस्ट्रिया से मुक्ति पाने के लिए उसे युद्ध में हराना जरूरी था। इसके लिए आवश्यक था कि जर्मनी सैनिक दृष्टि से मजबूत बने। विलियम ने प्रशा की सैनिक शक्ति बढ़ाने के लिए एक ठोस योजना बनायी। उदारवादियों के विरोध के बाद भी ‘विलियम सैन्य बजट पर अधिक खर्च किया। विलियम की इस नीति के कारण बिस्मार्क ने ‘रक्त एवं लौह’ की नीति का अवलम्बन किया तथा जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ ।
प्रश्न 16. लौह एवं रक्त की नीति क्या है ?
उत्तर-लौह एवं रक्त की नीति का प्रतिपादन बिस्मार्क ने किया था। इस नीति के अनुसार सैन्य शक्ति की सहायता से जर्मनी का एकीकरण करना था।
प्रश्न 17. इटली के एकीकरण के बाधक तत्त्वों को वर्णन करें ।
उत्तर-भौगोलिक समस्याएँ सबसे बड़ी बाधक थीं इसके अलावा कई अन्य समस्याएँ भी थीं जैसे इटली में आस्ट्रिया और फ्रांस का विदेशी प्रभुत्व एवं हस्तक्षेप था। ऑस्ट्रिया इटली की स्वतंत्रता का प्रमुख शत्रु था। रोम का राज्य इटली के मध्य में स्थित था जहाँ पोप का प्रभाव था। पोप चाहता था कि इटली का एकीकरण पोप के नेतृत्व में, धार्मिक दृष्टिकोण के आधार पर हो न कि शासकों के नेतृत्व में, राजनीतिक विषमताएँ आर्थिक कारणों से और भी उग्र हो गईं क्योंकि दक्षिणी इटली अविकसित और ग्रामीण था तथा उत्तरी इटली अर्द्ध औद्योगिक ।
प्रश्न 18. जुलाई, 1830 ई० की क्रांति के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-चार्ल्स-X एक निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासक था। उसने फ्रांसीसी राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबा दिया उसने संवैधानिक लोकतंत्र की राह में कई गतिरोध उत्पन्न किये। उसने प्रतिक्रियावादी पोलिग्नेक को प्रधानमंत्री बनाया। पोलिग्नेक ने लुई 18वें के समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना की तथा इन्हें विशेषाधिकार प्रदान किया। पोलिग्नेक के इस कार्य से प्रतिनिधि सदन एवं उदारवादियों ने इसका विरोध किया। चार्ल्स-X ने इस विरोध की प्रतिक्रिया में 25 जुलाई, 1830 को चार अध्यादेशों द्वारा उदारवादियों को दबाने का प्रयास किया। फलतः, अध्यादेश के विरोध में पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई। फ्रांस में 28 जुलाई, 1830 ई० में गृहयुद्ध आरम्भ हो गया। इसे ही जुलाई 1830 की क्रांति कहते हैं।
प्रश्न 19. हंगरी के राष्ट्रीय आंदोलन में कोसूथ के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-राष्ट्रवादी भावना का प्रभाव हंगरी पर भी पड़ा। यह आस्ट्रिया के अधीन था। हंगरी में राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व कोसूथ तथा फ्रांसिस डिक ने किया । कोसूथ लोकतांत्रिक विचारों का समर्थक था, उसने वर्गहीन समाज के विचारों से जनता को परिचित कराया जिसपर प्रतिबंध लगा दिया गया। कोसूथ ऑस्ट्रियाई अधीनता का विरोध कर यहाँ की व्यवस्था में बदलाव की माँग करने लगा। इसका प्रभाव हंगरी और ऑस्ट्रिया की जनता पर पड़ा। 31 मार्च, 1848 ई० को ऑस्ट्रिया की सरकार ने हंगरी की बातें मान लीं। हंगरी के स्वतंत्र मंत्रिपरिषद् की माँग स्वीकार की गई। इसमें केवल हंगरी के सदस्य ही सम्मिलित किये गये। हंगरी में प्रेस को स्वतंत्रता दी गई, राष्ट्रीय सुरक्षा सेना की स्थापना की गई, सामंती प्रथा समाप्त कर दी गई तथा प्रतिनिधि सभा (डायट) की बैठक प्रतिवर्ष हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में बुलाने की बात स्वीकार की गई।
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