Bihar Board 12th Batchit Objective And Subjective Question 2025: यहां से इंर्पोटेंट ऑब्जेक्टिव सब्जेक्टिव याद करें, @officialbseb.com
Bihar Board 12th Batchit Objective And Subjective Question 2025
Objective Question 1. बातचीत – (बालकृष्ण भट्ट)
1. ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध के अनुसार जो कुछ मबाद या धुआँ जमा रहता है, वह भाप बनकर निकल पड़ता है। कैसे? [2021A, I.A.]
(A) बहस करके
(B) झगड़ा करके
(C) बातचीत के जरिए
(D) हँसने से
Ans.(C)
2. ‘जैसा काम वैसा परिणाम’ किस लेखक द्वारा रचित प्रहसन है? [2019C, I.Sc.]
(A) रामधारी सिंह ‘दिनकर’
(B) जयप्रकाश नारायण
(C) बालकृष्ण भट्ट
(D) मोहन राकेश
Ans. (C)
3. बालकुष्ट भट्ट के पिता का क्या नाम था? [2020A, I.Sc.]
(A) देनी प्रसाद भट्ट
(B) बेनी प्रसाद भट्ट
(C) टेनी प्रसाद भट्ट
(D) सैनी प्रसाद भट्ट
Ans. (B)
4. ‘दमयंती स्वयंवर’ किस लेखक की रचना है? [2020A, I.Sc.]
(A) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
(B) मलयज
(C) बालकृष्ण भट्ट
(D) भगत सिंह
Ans. (C)
5. बालकृष्ण भङ्ट की रचना बातचीत क्या है? [2018A, I.A.]
(A) एकांकी
(B) कहानी
(C) यात्रा संस्मरण
(D) ललित निबंध
Ans. (D)
6. बालकृष्ण भट्ट किस युग के निबंधकार थे? [2021A, I.Sc.]
(A) प्रसाद युग
(B) भारतेंदु युग
(C) द्विवेदी युग
(D) स्वातंत्र्योत्तर युग
Ans. (B)
7. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या है?
(A) विद्वतापूर्ण बात करना
(B) तर्कपूर्ण बात करना
(C) भीड़ से बात करना
(D) अवाक् होकर अपने से बातचीत करना
Ans. (D)
8. ‘संवाद’ में सबसे महत्त्वपूर्ण क्या है?
(A) तर्क
(B) जिज्ञासा
(C) आत्मीयता
(D) प्रवाहपूर्ण भाषा
Ans. (C)
9. बालकृष्ण भट्ट का जन्म हुआ था-
(A) 23 जून, 1884 को
(B) 23 जून, 1844 को
(C) 20 जुलाई, 1902 को
(D) 18 दिसम्बर, 1834 को
Ans(B)
10. ‘संयोगिता स्वयंबर’ रचना है-
(A) बालकृष्ण भट्ट की
(B) प्रतापनारायण मिश्र की
(C) श्रीनिवास दास की
(D) मैथिलीशरण गुप्त की
Ans. (C)
11. कौन-सी रचना बालकृष्ण भट्ट की नहीं है?
(A) नूतन ब्रह्मचारी
(B) सी अजान एक सुजान
(C) सद्भाव का अभाव
(D) परीक्षा गुरु
Ans. (D)
12. कौन-सी रचना बालकृष्ण भट्ट की है?
(A) रेल का विकट खेल
(B) कछुआ धरम
(C) रेणुका
(D) प्राच्यविद्या
Ans. (A)
13. बालकृष्ण भट्ट ने कौन-सा मासिक पत्र निकाला था?
(A) प्रताप
(B) कर्मवीर
(C) हिन्दी प्रदीप
(D) ज्योत्सना
Ans. (A)
14. ‘बातचीत’ किस विद्या की रचना है?
(A) आलोचना
(B) गीत
(C) शोध
(D) निबंध
Ans. (D)
15. राबिंसन कूसो ने 16 वर्ष के उपरांत किसके मुख से एक बात सुनी?
(A) फ्राइडे के
(B) सन्डे के
(C) एडीसन के
(D) स्टील के
Ans. (A)
16. ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध के निबंधकार है- [2019A, I.Sc.]
(A) जयप्रकाश नारायण
(B) मोहन राकेश
(C) नामवर सिंह
(D) बालकृष्ण भट्ट
Ans.’ (D)
17. बातचीत के माध्यम से बालकृष्ण भट्ट क्या बतलाना चाहते है?
(A) बातचीत की शैली
(B) भाषण की शैली
(C) संवाद की शैली
(D) इनमें से कोई नहीं
Ans. (A)
18. भट्टजी को किसने अँगरेजी साहित्य के एडीसन और स्टील की श्रेणी में रखा है?
(A) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(B) डॉ० नगेंद्र
(C) रामचंद्र शुक्ल
(D) रामविलास शर्मा
Ans. (C)
19. बालकृष्ण भट्ट का निवास-स्थान कौन-सा है?
(A) लखनऊ, उत्तरप्रदेश
(B) इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
(C) मथुरा, उत्तरप्रदेश
(D) वाराणसी, उत्तरप्रदेश
Ans. (B)
20. बालकृष्ण भट्ट ने किस पत्रिका का सम्पादन किया?
(A) आर्यावर्त्त
(B) हुँकार
(C) हिन्दी प्रदीप
(D) पंजाब केसरी
Ans. (C)
21. बालकृष्ण ने ‘हिन्दी प्रदीप’ नामक मासिक पत्रिका निकालना कब प्रारा्भ किया?
(A) 1877
(B) 1888
(C) 1890
(D) 1894
Ans. (A)
22. कौन-सी रचना बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित नहीं है?
(A) पद्मावती
(B) वेणी संहार
(C) मेघदूतम्
(D) मेघनाथ वध
Ans. (C)
23. कौन-सा उपन्यास बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित है?
(A) मैला आँचल
(B) गोदान
(C) सौ अजान एक सुजान
(D) अंतराल
Ans. (C)
24. नाटक के प्रारंभ में होनेवाले मंगल पाठ को क्या कहा जाता है?
(A) भजन
(B) नांदी पाठ
(C) मंगलाचरण
(D) आरती
Ans. (B)
25. रॉबिन्सन क्रसो को कब तक मनुष्य का मुख देखने को नहीं मिला?
(A) 10 वर्ष तक
(B) 12 वर्ष तक
(C) 16 वर्ष तक
(D) 18 वर्ष तक
Ans. (C)
Subjective Question बातचीत बालकृष्ण भट्ट
प्रश्न 1. वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता? [Sc. & Com. 2019A, 2016C, 2011A |
अथवा, अगर हममें वाक्शक्ति नहीं होती, तो क्या होता ? ISc. & Com. 20194/
उत्तर- प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो वाक्शक्ति के द्वारा अपने विचारों और अपने सुख-दुःख की बातों को व्यक्त करने तथा दूसरे के विचारों और सुख-दुख की बातों को समझने की क्षमता रखता है। इंसान ने इस वाक्शक्ति के माध्यम से ही अपने इस विशेष गुण को आदिकाल से आज तक किए गए प्रयोगों एवं अभ्यासों विकसित किया और सँवारा है। वाक्शक्ति के माध्यम से विचार के आदान-प्रदान का सबसे सरल माध्यम हैं। जिससे हम किसी पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं, अपने व दूसरों के अव्यक्त गुणों को उभार कर सामने ला सकते हैं और दूसरे के गुणों को ग्रहण कर लाभान्वित हो सकते हैं। अगर मनुष्य की ज्ञानेन्द्रियाँ अपनी-अपनी व्यक्तियों में अविकल रहती और यह वाक्शक्ति या बोलने की शक्ति इन्सानों में न होती, तो हम नहीं जानते कि इस गूँगी सृष्टि की क्या स्थिति होती। सभी लोग जैसे-तैसे, जहाँ-तहाँ, लुंज-पुंज स्थिति में किसी कोने में बैठा दिए गए होते और जो कुछ सुख-दुःख का अनुभव हम अपनी दूसरी इन्द्रियों के द्वारा करते उसे अवाक् होने के कारण आपस में एक-दूसरे से कुछ न कह-सुन सकते।
प्रश्न 2. ‘ऑर्ट ऑफ कन्वरसेशन’ क्या है ? [Arts 2011A, 20094/
उत्तर- सम्पूर्ण संसार में मानव समाज के बीच ऑर्ट ऑफ कनवरसेशन बातचीत की दो बिल्कुल भिन्न व विरोधी क्रियाएँ है जहाँ गप-शप, निरर्थक, निरूद्देश्य एवं समय को बर्बाद करने वाली प्रक्रिया है, वहीं बातचीत यथार्थता. रोचकता और उपयोगिता के गुणों से सम्पन्न, समय का सदुपयोग करनेवाली प्रक्रिया है, जिसके कुछ आवश्यक, कल्याणकारी परिणाम निकलते हैं।
‘ऑर्ट ऑफ कनवरशेसन’ यहाँ तक बढ़ गया है कि स्पीच और लेख दोनों इसे छू नहीं पाते। इसके पूर्ण सौंदर्य काव्यकला, चतुर विद्वानों की मंडली में है। ऐसे चतुराई के प्रसंग छेड़े जाते हैं कि जिन्हें सुन कान को अत्यंत सुख का एहसास होता है। सुन्दर गोष्ठी इसी का नाम दिया गया है। सुन्दर गोष्ठी की बातचीत की तारीफ की गई है, की बात करने वालों की विद्वता की कपट कहीं एक बात में भी प्रकट न हो, किन्तु क्रम में रसाभास पैदा करने वाले शब्दों को परखते हुए चतुर अपनी बातों को सरल रखने में समर्थ होते हैं। वह रस आज हमारे नए विचारधारा वाले सुस्त पड़ितों की बात चीत में जिसे शास्त्रार्थ कहते हैं, कभी आयेगा ही नहीं।
बातचीत करते समय बात करनेवाले सभी भागियों के साथ अपनत्व की भावना रखकर सौहार्द का वातावरण बना लेना चाहिए। बातचीत एक खेल के समान है, जिसमें सभी लोग दिलचस्पी ले, तो वह जमती है और सार्थक बन पाता है। इस खेल की एक विशेषता यह भी है कि इसमें सभी प्रतियोगी होते हुए भी समान रूप से सहयोगी और मित्र होते हैं। शर्मीलापन, हिचकिचाहट, घबराहट और मानसिक कमजोरियाँ अच्छी बातचीत के प्रधान अवरोधक तत्त्व हैं। ये तीनो दोष बातचीत के कला के अभ्यास को प्रगति को रोकते भावों की अभिव्यक्ति में बाधक बन जाते हैं। किन्तु, आत्मविश्वास के साथ निरंतर अलग रहकर किये जाने वाले वार्ता के द्वारा इन कमजोरियों को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 3. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है?
उत्तर- सफलता और मधुरता के साथ रोचक एवं प्रभावी ढंग में साप्त और संक्षिप्त भाषा में अपनी बात कह सकने के लिए हमें अपने विवेक, कल्पनाशील और वाक्चातुर्य के गुणों को अपनी भाषा की सरसता, सजीवता, उपयोगिता आदि के समिश्रण द्वारा निरंतर निखारते रहना चाहिए।
धैर्य, लगन व पैनी नजर इस कला में सफलता के मुख्य साधन है; और इनकी पूर्णता इस बात पर निर्भर करती है कि हमने अपनी कमियों, कमजोरियों और गलतियों को जानकर उनको सुधारने का प्रयत्न किए हैं तथा अन्य लोगों की गलतियों से भी शिक्षा ग्रहण करने की कितनी कोशिश की है।
बातचीत के सबसे उत्तम प्रकार के संबंध में हम यही समझते हैं कि हम वह शक्ति अपने-आप में पैदा कर सकें कि अपने-आप में बात कर लिया करें। उपर्युक्त वार्ता के तरीके के माध्यम से इस सृष्टि की सम्पूर्ण मानव सत्ता स्वयं में उत्पन्न किये। विधियों से एक-दूसरे के समक्ष अपनी विचारों को प्रस्तुत कर सकते हैं जिससे उनमें सकारात्मक विचार आ सके।