Bihar Board 12th Home Science Subjective Question 2025: Home Science इसके बाहर नहीं आएगा प्रश्न उत्तर, @officialbseb.com
Bihar Board 12th Home Science Subjective Question 2025:
खण्ड-ब (लघु उत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न संख्या 1 से 15 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से 10 प्रश्नों के उत्तर देना है। इस कोटि के प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित हैं। 10×2-20
प्रश्न 1. भाषा की अनुपस्थिति में अपने भाव व्यक्त करने के लिए शिशु कैसी ध्वनि निकालते हैं ? किन्हीं दो ध्वनियों के नाम लिखें ।
उत्तर-(1) बैबलिंग शिशुवार्ता-7-9 मास की आयु में बच्चे दोहरी आवाजें निकाल सकते हैं, जैसे-बाबा, मामा, टाटा, नाना, पापा आदि ।
(2) गलगलाना -3 माह के शिशु कुंजना सीख लेते हैं और कूऊऊऊ की ध्वनि निकाल सकते हैं। जब वे संतुष्ट व खुश होते हैं तो गलगलाने की ध्वनि निकालते हैं ।
प्रश्न 2. ज्ञानात्मक विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर (1) संवेदात्मक अवस्था (The Sensory motor Stage) ।
(2) पूर्व सक्रियात्मक अवस्था (The Pre-operational Stage) ।
(3) मूर्त सक्रियात्मक अवस्था (The Concrete-operational Stage)
(4) अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (The Formal-operational Stage)
प्रश्न 3. डी. पी. टी. का टीका लगने के दो कारण बताइए ।
उत्तर-डी. पी. टी. एक ट्रिपल वैक्सीन है। यह बच्चे व अन्य व्यक्तियों को निम्न रोगों से सुरक्षा हेतु दिया जाता है-D-डिपथेरिया (गल-घोंटू), P- कालीखाँसी, T-टेटनेस ।
प्रश्न 4. समाजीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-समाज के अन्य सामान्य व्यक्तियों की तरह रहना तथा समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहार तथा अपनी संस्कृति के बारे में सहजता से चलना समाजीकरण कहलाता है ।
प्रश्न 5. आई. सी. डी. एस. के उद्देश्य बताइए ।
उत्तर-आई. सी. डी. एस. के उद्देश्य (Objectives of ICDS):
(क) 0-6 वर्ष तक की आयु के बच्चों के स्वास्थ्य व आहार में सुधार ।
(ख) बच्चों के मनोवैज्ञानिक, शारीरिक विकास की नींव रखना ।
(ग) कुपोषण, मृत्यु, अस्वस्थता व स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना ।
(घ) आई. सी. डी. एस. को सफल बनाने के लिए योजनाएँ बनाना व उन्हें क्रियान्वित करने में सामंजस्य रखना ।
(ङ) बच्चों की सामान्य स्वास्थ्य व आहार संबंधी आवश्यकताओं के बारे में माताओं की जानकारी बढ़ाना ।
प्रश्न 6. आहार आयोजन में लचीलेपन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-आपने परिवार के लिए बढ़िया तथा बहुत से व्यंजन बनाने का आयोजन किया है परन्तु परिवार का कोई सदस्य अचानक बीमार हो जाता है, इस भोजन में ऐसे सदस्य की जरूरत को पूरा करने का स्थान भी होना चाहिए । अतः परिवार के सभी सदस्यों के लिए संतोषजनक, रुचिकर व परिवर्तनशील भोजन का आयोजन ही लचीलेपन का कारण है ।
प्रश्न 7. ज्वर किसे कहते हैं ?
उत्तर-जब किसी व्यक्ति के शरीर द्वारा उत्पादित और निष्कासित ताप में संतुलन नहीं रहता और सामान्य से अधिक ताप की स्थिति हो जाती है, तो ऐसी स्थिति को ज्वर कहते हैं।
प्रश्न 8. व्यक्तिगत स्वच्छता का खाद्य स्वच्छता से क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- अपने आपको स्वच्छ रखने के लिए भोजन परोसते व पकाते समय स्वच्छता आवश्यक है; जैसे भोजन को छूने से पूर्व व पश्चात् हाथों को अच्छी तरह साबून से धो लेना चाहिए, अपने बालों को अच्छी तरह बाँधकर रखना चाहिए ।
प्रश्न 9. पारिवारिक आय की सम्पूर्ति की आवश्यकता व उपयोगिता क्या है ?
उत्तर-(1) पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति ।
(2) मुद्रा स्फीति ।
(3) सुरक्षित भविष्य ।
(4) बड़े परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करना ।
प्रश्न 10. उपभोक्ता शिक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर- उपभोक्ता शिक्षण का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता को बाजार से क्रय सम्बन्धी व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। जैसे वह विभिन्न वस्तुओं का चुनाव करते समय, क्रय सम्बन्धी विभिन्न निर्णय कैसे ले, आदि ।
प्रश्न 11. अनुवांशिक अपवादात्मकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर- कई बच्चे माता-पिता से प्राप्त अनुवांशिकता के कारण भी शारीरिक अथवा मानसिक रूप से विकलांग हो जाते हैं; यदि माता-पिता के वंश सूत्रों में उपस्थित जीन्स में खराबी हो तो बच्चा अन्धा या बहरा या गूंगा भी हो सकता है ।
प्रश्न 12. जल की उपयोगिता बताइए ।
उत्तर-जल का प्रयोग पीने, भोजन पकाने, सफाई करने, नहाने व गंदगी को बहा ले जाने के उद्देश्य से करते हैं। प्राणी के शरीर को ऑक्सीजन के बाद जल की ही सबसे अधिक आवश्यकता होती है ।
प्रश्न 13. पारिवारिक आय में सम्पूर्ति के साधन कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर-(1) आय में वृद्धि के तरीके अपनाना ।
(2) अंशकालीन नौकरी ।
(3) वास्तविक नौकरी ।
(4) न्यायसंगत निवेश ।
(5) वस्तुगत साधनों का उचित विनियोग ।
प्रश्न 14. कपड़ों की साप्ताहिक देख-रेख का क्या अर्थ है ?
उत्तर-समय से पहले ही अपने कपडों को पहनने के लिए तैयार रखना तथा पूरे सप्ताह और हर अवसर पर पहनने वाले कपड़ों को देखने का पहले से ही प्रबन्ध साप्ताहिक देख-रेख कहलाती है ।
प्रश्न 15. बधिर बच्चों की विशेष आवश्यकताएँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-(1) शारीरिक आवश्यकताएँ ।
(2) भावात्मक तथा सामाजिक आवश्यकताएँ ।
(3) प्रेम करने तथा पाने की आवश्यकता ।
(4) शैक्षिक आवश्यकताएँ ।
(5) मौखिक तरीके तथा होंठ स्फुरण ।
(6) सांकेतिक भाषा ।
(7) स्वावलम्बन की आवश्यकता ।
खण्ड-स (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न संख्या 1 से 3 तक दीर्घ उत्तरीय हैं। सभी 3 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित हैं ।5×3-15
प्रश्न 1. वृद्धि और विकास के सिद्धान्त कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर-गर्भाधान से लेकर मृत्यु पर्यंत तक होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया निम्न सिद्धांतों पर आधारित है :
(1) विकास सदैव व्यवस्थित एवं संगतिपूर्ण ढंग से होता है – विकास परिवर्तनों की एक ऐसी प्रगतिशील श्रृंखला है जिसमें विकास व्यवस्थित तथा संगतिपूर्ण ढंग से पाया जाता है ।
(2) विकास की विभिन्न अवस्थाएँ होती हैं- विकास की अवस्थाओं की अवधि कम या अधिक हो सकती है तथा एक सरल रेखा के रूप में नहीं दिखाया जा सकता ।
(3) विकास की प्रत्येक अवस्था के लक्षण होते हैं- जैसे छः सात माह के बच्चे का बैठना, 14-15 माह में चलना, किशोरावस्था में विकास, दूसरे लिंग के व्यक्तियों के साथ सामाजिक समायोजन करना इत्यादि, प्रत्येक अवस्था के विशेष लक्षणों के उदाहरण हैं ।
(4) विकासात्मक प्रक्रिया पर अनुवांशिकता एवं वातावरण का प्रभाव- यदि दो जुड़वाँ बच्चों को, जिनकी अनुवांशिकता एक जैसी होती है, अलग-अलग वातावरण में पाला जाए तो उनके विकास में अन्तर होता है ।
(5) विकास परिपाक और सीखने से होता है- शारीरिक परिपक्वता सीखने की क्रिया को आधार प्रदान करती है; जैसे बैठना, पेट के बल सरकना, हाथ व पैर के बल रेंगना आदि ।
(6) विकास एक निश्चित एवं पूर्वामानगम्य क्रम के अनुसार होता है-सिर से टाँगों तक के विकास को सैफला काउडल (Cephla caudal) कहते हैं। शारीरिक केन्द्र से बाहर की ओर के विकास को prodeimo distal कहते हैं ।
(7) विकास सदैव सामान्य से विशिष्ट की ओर होता है- टाँगों की माँसपेशियों के नियन्त्रित होने से पूर्व शिशु अपनी पूरी टाँगें हिलाता है, रेंगता है और फिर चलता है ।
(8) विकास लगातार चलने वाली प्रक्रिया है- एक अवस्था में जो विकास हो चुका होता है, वह आने वाली अवस्थाओं को भी प्रभावित करता है।
अथवा
नवजात शिशु की जन्म से एक वर्ष तक की विभिन्न क्रियाओं का वर्णन करें ।
उत्तर- एक नवजात शिशु पूर्ण रूप से क्रियाविहीन व असहाय होता है। परन्तु 3 मास तक चालक स्नायु नाड़ियों द्वारा ऐच्छिक पेशियों का संचालन करने पर उसकी भुजाओं व टाँगों में गति होने लगती है। बबलाने की आवाजों से उसकी जिह्वा में गति उत्पन्न होती है। 5-6 मास की आयु तक उसके कमर व गर्दन में गतियाँ होने लगती हैं। 7-8 मास की आयु में वह बिना सहारे के बैठ सकता है। 10 मास तक रेंगने लगता है। अन्ततः बच्चा किसी सहारे से चलने लगता है । फिर बिना सहारे के चलने या दौड़ने लगता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में गतियाँ व क्रियाएँ भिन्न भी हो सकती हैं।
प्रश्न 2. आहार आयोजन की आवश्यकता के चार कारण लिखें ।
उत्तर- (क) परिवार के सदस्यों को आवश्यकतानुसार पोषक तत्त्व प्रदान करना ।
(ख) बाहरी खान-पान पर व्यर्थ खर्च रोककर वित्तीय स्थिति में सुधार करना ।
(ग) परिवार के सदस्यों की रुचि तथा अरुचि को ध्यान में रखकर भोजन बनाना तथा परोसना ।
(घ) बाजार से दूषित आहारीय पदाथों को खाकर खाद्य विषक्ता जैसी स्थिति को रोकना ।
अथवा
गर्म कपड़ों को संगृहीत करके रखते समय कौन-सी चार सावधानियाँ बरतोगे ?
उत्तर-(1) कपड़ों को धोने के उपरान्त उनको ठीक प्रकार से बुश करके रखना चाहिए, जिससे उनकी धूल निकल जाए ।
(2) अधिक धूप अथवा प्रकाश में पड़े रहने से वस्त्रों के रंग खराब हो जाते हैं इसलिए ऐसे वस्त्रों को अधिक समय तक धूप तथा प्रकाश में नहीं रखना चाहिए ।
(3) गर्म कपड़ों को अलमारी में रखने से पहले अखबार के कागज में लपेट देना चाहिए । इससे उनमें कीड़ा नहीं लगता ।
(4) अलमारी की पूर्ण सफाई होनी चाहिए तथा टूटे-फूटे भागों की मरम्मत होती रहनी चाहिए ।
(5) पालिथिन बैग में मॉथ प्रूफ पाउडर (Moth Pooff Powder) या नैपथिलिन की गोलियाँ डालकर रखनी चाहिए ।
प्रश्न 3. निमोनिया के लक्षण, उपचार व रोकथाम लिखें ।
उत्तर-निमोनिया तीन प्रकार के जीवाणुओं से होता है :
(1) न्यूमोकोकस (Pneumococus)
(2) स्ट्रैप्टोकोकस (Streptococus)
(3) स्टैफाइलोकोकस (Stephylococus)
लक्षण (1) रोगी को तेज ज्वर चढ़ता है और चेहरा लाल हो जाता है।
(2) रोगी को खाँसी आती है और सीने में दर्द होता है ।
(3) रोगी की श्वास लेने की गति अति तीव्र हो जाती है ।
(4) रोगी को सीधा लेटने में कष्ट होता है ।
(5) कई बार अधिक खाँसने के कारण थूक या बलगम में खून भी आने लगता है ।
उपचार एवं रोकथाम (1) रोग के लक्षण दिखाई देते ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ।
(2) रोगी का ठंड से बचाव करना चाहिए ।
(3) रोगी को हवादार कमरे में जहाँ स्वच्छ वायु व सूर्य का प्रकाश आता हा, रखना चाहिए ।
(4) रोगी के आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
(5) रोगी को स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए तथा पूरा आराम देना चाहिए ।
Immunization Chart
Pregnant woman :
During 16-36 weeks of pregnancy Tetanus Toxoid-I vaccine After Tetanus Toxoid I vaccine Tetanus Toxoid-booster dose
For children-
1-1/2 Month BCG. DPT (Ist dose). Polio (Ist dose)
2-1/2 Month DPT (2nd dose). Polio (2nd dose)
3-1/2 Month DPT (3rd dose). Polio (3rd dose)
9 Month Measles Vaccine
16-24 Months DPT and Polio Booster dose.
अथवा
मौद्रिक आय व वास्तविक आय में अन्तर उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए । एक परिवार को अपनी वास्तविक आय में वृद्धि के दो सुझाव दीजिए ।
उत्तर-मौद्रिक आय (Money Income)- मौद्रिक आय किराये की प्राप्ति के अन्तर्गत वह कुल आय होती है जो मुद्रा के रूप में प्राप्त होती है। इस आय के विभिन्न साधन हैं-तनख्वाह, पारिश्रमिक, उपहार, बचत की गई जमा-राशि पर लाभ, मकान के किराया के रूप में प्राप्त धन, बोनस आदि । मौद्रिक आय परिवार के सदस्यों की सुख-सुविधा की एक निश्चित समय तक संतुष्टि पर व्यय की जाती है। यह समय एक दिन, एक सप्ताह, एक महीना अथवा एक वर्ष भी हो सकता है।
वास्तविक आय (Real Income)- इसमें किसी निश्चित समय के लिए जो सेवाएँ व सुविधाएँ परिवार के सदस्य प्राप्त करते हैं उसे वास्तविक आय कहते हैं। यह आय परिवार के सदस्यों के प्रयास द्वारा या मुद्रा हस्तान्तरण द्वारा प्राप्त की जाती है। अतः वास्तविक आय उसे कहते हैं जहाँ पारिवारिक आय परिवार के सदस्यों की योग्यता के अनुसार उनकी आय का वास्तविक आय में सम्मिलन, सामुदायिक साधनों से आय व मौद्रिक आय है। वास्तविक आय प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष हो सकती है ।
वास्तविक आय में वृद्धि के दो सुझाव
(1) उपलब्ध भौतिक साधनों का उचित उपयोग-कई परिवारों के पास उनके सदस्यों की आवश्यकता से कहीं अधिक भौतिक साधन उपलब्ध होते हैं जिनका यदि उचित उपयोग किया जाए तो पारिवारिक आय में वृद्धि की जा सकती है। उदाहरण के लिए यदि छोटे परिवार के पास रहने के लिए आवश्यकता से अधिक बड़ा मकान हो तो उसे किराए पर दिया जा सकता है ।
(2) मानवीय साधनों का विकास करके विभिन्न मानवीय साधन जैसे ज्ञान, कार्य निपुणता, शक्ति आदि का विकास करके भी धन को बचाया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि गृहिणी को सामान आदि खरीदने के लिए विभिन्न बाजारों का ज्ञान हो तो वह अपनी आवश्यकतानुसार उत्तम बाजार का चयन कर सकती है जहाँ से उसे अच्छे किस्म के खाद्य पदार्थ ठीक दामों पर मिल सकें। मास के प्रारम्भ में ही गृहिणी थोक बाजार से इकट्ठी चीजें खरीदकर धन की बचत कर सकती हैं और इस बचे हुए धन को अन्य आवश्यकत्ताओं की पूर्ति के लिए प्रयोग कर सकती हैं ।
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